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गुरु पूर्णिमा 2025: हरिद्वार की हर की पौड़ी पर उमड़े श्रद्धालु, गंगा में लिया पवित्र स्नान

Published on July 10, 2025 by Priti Kumari

: आज गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर हरिद्वार की हर की पौड़ी स्थित पवित्र गंगा तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। आषाढ़ मास की पूर्णिमा, जिसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में गुरुओं के प्रति समर्पण का प्रतीक है। इस दिन स्नान, दान और गुरु का पूजन अत्यंत फलदायी माना गया है।

 गुरु पूर्णिमा का महत्व

गुरु पूर्णिमा न केवल हिंदू धर्म में बल्कि जैन, बौद्ध और सिख धर्मों में भी अत्यंत पावन पर्व है। इस दिन ऋषि वेदव्यास का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों का संकलन किया। इसलिए इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस अवसर पर लोग अपने आध्यात्मिक गुरुओं का पूजन करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

हर की पौड़ी पर पवित्र स्नान का दृश्य

गुरुवार सुबह से ही हरिद्वार में श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। जैसे ही सूरज निकला, हर की पौड़ी पर भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, गंगा स्नान के लिए। भक्तों में विशेष उत्साह देखने को मिला। प्रशासन द्वारा विशेष सुरक्षा व्यवस्था और साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा गया।

भक्तों की प्रतिक्रियाएं:

🗣️ राहुल (हरियाणा से आए)
"मैं यहां गंगा में स्नान करने और अपनी कांवड़ यात्रा शुरू करने आया हूं। मैंने मां गंगा से प्रार्थना की है कि मेरी पढ़ाई में सफलता मिले।"

🗣️ सुमन (दिल्ली से)
"आज का दिन बहुत शुभ है। यहां की व्यवस्थाएं बहुत अच्छी हैं। मैंने भगवान से सिर्फ यह प्रार्थना की कि वे हमारा ध्यान रखें।"

सतीश कुमार (दिल्ली से)
"यह मेरी 26वीं कांवड़ यात्रा होगी। मैं बहुत उत्साहित हूं। आज का स्नान अनुभव अविस्मरणीय रहा।"


 उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भी गुरुवार तड़के पवित्र भस्म आरती का आयोजन किया गया। इस आरती को देखने के लिए देशभर से हजारों श्रद्धालु पहुंचे। पूरा मंदिर मंत्रोच्चारण और आध्यात्मिक ऊर्जा से गूंज उठा।

गुरु की महिमा

"गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।"
संत कबीर

भारतीय संस्कृति में गुरु को गोविंद (ईश्वर) से भी ऊपर माना गया है, क्योंकि वही हमें ईश्वर से मिलवाते हैं। आज के दिन गुरु पूजन, गुरु मंत्र का जप, दान और सेवा करने से जीवन में सकारात्मकता और ज्ञान का प्रवेश होता है।

आज से सावन और कांवड़ यात्रा की शुरुआत

गुरु पूर्णिमा के साथ आषाढ़ मास का समापन और सावन मास की शुरुआत भी होती है। आज से ही कांवड़ यात्रा 2025 का शुभारंभ हुआ है। हजारों कांवड़िए हरिद्वार से पवित्र गंगाजल लेकर अपने-अपने शिवालयों की ओर रवाना हो रहे हैं।


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