"सीखने की कोई उम्र नहीं होती" – इस कहावत को जयपुर के ताराचंद अग्रवाल ने हकीकत में बदल दिया है। 71 वर्ष की उम्र में चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनकर उन्होंने न सिर्फ अपने अधूरे ख्वाब को पूरा किया, बल्कि पूरे देश को एक प्रेरणादायक संदेश दिया है। रिटायर्ड बैंक अधिकारी ताराचंद की यह कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, और हर कोई उनके हौसले, समर्पण और बुलंद इरादों की सराहना कर रहा है।
रिटायरमेंट के बाद लिया फैसला
ताराचंद अग्रवाल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से वरिष्ठ प्रबंधक पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं। रिटायरमेंट के बाद जब आम लोग आराम की जिंदगी चुनते हैं, तब उन्होंने अपने जीवन का सबसे मुश्किल और चुनौतीपूर्ण सफर शुरू किया – सीए बनने का सपना।
उनका कहना है:
"मैंने यह सपना जवानी में देखा था, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अधूरा रह गया। रिटायरमेंट के बाद पोती की पढ़ाई में मदद करने के दौरान फिर से किताबें उठाईं और उसी से प्रेरणा लेकर खुद भी पढ़ना शुरू किया।"
पोती बनी प्रेरणा, और साथी भी
ताराचंद अग्रवाल की पोती कॉमर्स की छात्रा है और सीए बनने की तैयारी कर रही थी। जब दादाजी ने उसके साथ बैठकर पढ़ाई शुरू की, तो यह केवल मदद नहीं, बल्कि एक साथ सीखने और आगे बढ़ने की यात्रा बन गई।
उन्होंने बताया:
"जब मैं पोती को अकाउंट्स और लॉ पढ़ाता था, तो खुद को भी इसमें रुचि होने लगी। फिर सोचा कि क्यों न इस बार खुद भी परीक्षा दूं।"
कड़ी मेहनत और अनुशासन से मिली सफलता
सीए परीक्षा को देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। 20 से 25 साल के छात्र जहां इसे पास करने के लिए सालों लगाते हैं, वहीं 71 साल की उम्र में पास करना अद्भुत उपलब्धि है।
ताराचंद जी ने बताया कि उन्होंने हर दिन 6–8 घंटे पढ़ाई की और कभी भी उम्र को कमजोरी नहीं बनने दिया।
सोशल मीडिया पर तारीफों की बाढ़
उनकी इस उपलब्धि की खबर सामने आने के बाद ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर लोग उनके संकल्प, जज्बे और संघर्ष को सलाम कर रहे हैं।
कई लोग उन्हें "रियल लाइफ हीरो" और "मॉडर्न डे द्रोणाचार्य" कहकर पुकार रहे हैं।
ताराचंद अग्रवाल की प्रेरणादायक सीख
✅ "उम्र केवल एक संख्या है। अगर मन में सच्ची लगन हो तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती।"
✅ "अपने बच्चों और पोते-पोतियों के साथ सीखना, उनके भविष्य को संवारने का सबसे अच्छा तरीका है।"