नई दिल्ली: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान ऐसा बयान दिया, जिसे लेकर सियासी हलकों में जबरदस्त हलचल है। भागवत ने कहा:
"जब किसी को 75 साल की उम्र में शॉल ओढ़ाई जाती है, तो उसका मतलब होता है कि अब उन्हें रिटायर होकर दूसरों को मौका देना चाहिए।"
यह बयान आते ही विपक्ष ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संकेत करार दिया है, जो इस समय 74 वर्ष के हो चुके हैं और 2026 में 75 वर्ष पूरे करेंगे।
क्या यह सिर्फ एक सामान्य टिप्पणी थी?
आरएसएस प्रमुख का यह बयान किसी विशेष नेता का नाम लिए बिना दिया गया, लेकिन वक्त और संदर्भ को देखते हुए राजनीतिक विश्लेषकों और विपक्षी दलों का कहना है कि:
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यह एक सधी हुई, अप्रत्यक्ष सलाह है।
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बीजेपी के भीतर उम्र सीमा को लेकर "75 के बाद सक्रिय राजनीति से बाहर" का अनकहा नियम रहा है (जैसे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी को किनारे किया गया)।
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अब जब पीएम मोदी खुद उस उम्र के करीब हैं, तो क्या वही नियम अब लागू होगा?
विपक्ष का तंज
कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी:
"संघ प्रमुख ने बहुत साफ संकेत दे दिया है। अब बीजेपी खुद ही बताए, क्या वो अपने ही सिद्धांत पर चलेंगे?"
वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान महज सामान्य सामाजिक सलाह थी, न कि किसी विशेष नेता के लिए।
बीजेपी की प्रतिक्रिया?
अब तक बीजेपी की ओर से इस बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि:
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भागवत का बयान सामान्य नीति और परंपरा पर था।
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इसे पीएम मोदी से जोड़ना राजनीतिक अटकलबाज़ी है।
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अगर इस बयान को गंभीरता से लिया जाए तो यह भविष्य में भाजपा के नेतृत्व ढांचे को लेकर बड़ा बदलाव संकेत कर सकता है।
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अगर नहीं, तो यह मात्र एक आदर्शवादी सुझाव माना जाएगा।
अब आपकी बारी – आप क्या सोचते हैं?
क्या मोहन भागवत का बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए संकेत था?
रिएक्ट करें:
👍 – हां, यह सीधा संकेत है पीएम मोदी के लिए
👎 – नहीं, यह एक सामान्य उम्र संबंधी टिप्पणी थी
🙏 – विपक्ष इसे मुद्दा बना रहा है बस
😮 – कुछ कह नहीं सकते