ग्रोसरी के बढ़ते दामों से नाराज़ जनता, चुनावी झटके के बाद व्हाइट हाउस की बड़ी राहत योजना
अमेरिका में दिनों-दिन बढ़ते ग्रोसरी बिल और खाद्य वस्तुओं की कीमतों ने आम लोगों की जेब पर भारी असर डाला है। बीफ, कॉफी, फल और कई अन्य चीज़ों के दाम पिछले कुछ महीनों से लगातार बढ़ रहे थे, जिसके चलते राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार पर दबाव बढ़ता जा रहा था। इसी पृष्ठभूमि में ट्रंप प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए करीब 200 से ज्यादा खाद्य उत्पादों पर लगाए गए आयात शुल्क (टैरिफ) को हटा दिया है।
महंगाई बनी बड़ी राजनीतिक परीक्षा
अमेरिका में इस समय महंगाई सबसे बड़ा घरेलू मुद्दा बना हुआ है। कई राज्यों में हुए स्थानीय चुनावों में रिपब्लिकन पार्टी को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। विश्लेषकों का मानना है कि महंगाई और बढ़ते ग्रोसरी दामों ने पार्टी के सपोर्ट बेस को कमजोर किया।
ट्रंप के लिए यह स्थिति राजनीतिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा था कि उनकी टैरिफ नीति ने ही महंगाई को और बढ़ाया। इसी दबाव ने ट्रंप प्रशासन को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया।
बीफ-कॉफी से ट्रॉपिकल फ्रूट तक—लंबी लिस्ट में छूट
नये फैसले के बाद अमेरिका में अब जिन चीज़ों पर टैरिफ खत्म किया गया है, उनमें प्रमुख हैं—
- बीफ (गोमांस)
- कॉफी
- केला, संतरा जैसे ट्रॉपिकल फल
- प्रोसेस्ड फूड
- कुकिंग आइटम
- कुछ ग्रोसरी स्टेपल्स
हालांकि कुछ उत्पादों, खासकर ब्राजील से आने वाले माल पर 40% तक शुल्क अभी भी बना रहेगा। इससे कीमतों में राहत मिलेगी, लेकिन कुछ वस्तुओं में बड़ा गिरावट देखने को नहीं मिलेगी।
लोगों को राहत मिलने की उम्मीद
अर्थव्यवस्था के जानकार बताते हैं कि आयात शुल्क हटने से सप्लाई चेन पर दबाव कम होगा और आने वाले हफ्तों में बाजार में कई खाद्य उत्पादों की कीमतें थोड़ी कम हो सकती हैं। महंगाई में थोड़ी नरमी आने की उम्मीद भी जताई जा रही है।
अमेरिकी उपभोक्ता लंबे समय से शिकायत कर रहे थे कि टैरिफ के कारण खाने-पीने की चीजें उनकी पहुंच से बाहर होती जा रही हैं। खासकर बीफ और कॉफी जैसे लोकप्रिय उत्पादों की कीमतों में भारी बढ़ोतरी देखी गई थी।
विशेषज्ञों ने इसे ‘फेल हुई नीति’ कहा
कई अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ इस फैसले को ट्रंप के लिए एक नीतिगत यू-टर्न बता रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रंप ने पहले टैरिफ बढ़ाकर महंगाई को और तेज किया और अब वही फैसले वापस लिए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि इतनी जल्दी नीतियों में परिवर्तन से बाजार में अस्थिरता का माहौल बनता है।
आईएमएफ की पूर्व चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने भी पहले चेतावनी दी थी कि ऊंचे टैरिफ अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए “छिपा हुआ टैक्स” बन जाते हैं।
व्हाइट हाउस का बचाव — ‘महंगाई पर नियंत्रण जरूरी’
वहीं व्हाइट हाउस का कहना है कि यह फैसला सामान्य अमेरिकी नागरिकों को राहत पहुंचाने की दिशा में एक जरूरी कदम है। अधिकारियों का दावा है कि आने वाले महीनों में इसका सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा, और महंगाई को काबू में लाने में मदद मिलेगी।