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अदाणी शेयरों में 7% की गिरावट, 53,000 करोड़ रुपये का नुकसान; निवेशकों में हिन्डनबर्ग रिपोर्ट के कारण चिंता

Published on August 12, 2024 by Vivek Kumar

[caption id="attachment_12064" align="alignnone" width="1200"]Something big is going to happen in India soon After Adani Group, Hindenburg Research hints at a new report Something big is going to happen in India soon After Adani Group, Hindenburg Research hints at a new report[/caption]

Hindenburg विवाद के कारण अदाणी समूह के शेयरों में भारी गिरावट

आज सुबह अदाणी समूह की कंपनियों के शेयरों में 7% तक की भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों को लगभग 53,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह गिरावट Hindenburg रिपोर्ट के फिर से सामने आने और सेबी प्रमुख माधबी बुच पर लगाए गए आरोपों के कारण हुई, जिसने निवेशकों में चिंता बढ़ा दी।

बाजार पर प्रभाव: प्रमुख आंकड़े

संयुक्त बाजार पूंजीकरण: अदाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण गिरकर ₹16.7 लाख करोड़ रुपये हो गया। सबसे बड़ा नुकसान: अदाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट आई, जो 7% गिरकर ₹1,656 पर पहुंच गए। हालांकि, बाद में शेयरों में सुधार हुआ और दोपहर में यह 1% ऊपर ट्रेड कर रहा था। अन्य प्रभावित शेयर:
  • अदाणी टोटल गैस: 4% की गिरावट।
  • अदाणी विल्मार, अदाणी एनर्जी सॉल्यूशंस, और NDTV: 2-3% की गिरावट।
  • अदाणी पोर्ट्स: 2% की गिरावट।
  • अदाणी एंटरप्राइजेज: 1% की गिरावट।

Hindenburg आरोप और बाजार की प्रतिक्रिया

हालांकि, नवीनतम Hindenburg रिपोर्ट में अदाणी समूह पर नए आरोप नहीं लगाए गए हैं, लेकिन इसमें आरोप लगाया गया है कि सेबी प्रमुख माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमूडा और मॉरीशस स्थित ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी रखी थी। इन फंड्स का उपयोग गौतम अदाणी के भाई विनोद अदाणी द्वारा अदाणी समूह के शेयरों में बड़े पैमाने पर व्यापार के लिए किया गया। इन आरोपों ने सेबी की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं, जिससे राजनीतिक हलचल बढ़ गई है और विपक्षी नेताओं ने बुच के इस्तीफे और संयुक्त संसदीय समिति (JPC) जांच की मांग की है।

सेबी की प्रतिक्रिया और बाजार विश्लेषकों की राय

माधबी बुच ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है, और सेबी ने एक बयान जारी कर कहा है कि उन्होंने अपने होल्डिंग्स और सुरक्षा हस्तांतरण के बारे में आवश्यक खुलासे किए हैं। सेबी ने यह भी स्पष्ट किया कि बुच ने संभावित हितों के टकराव वाले मामलों में खुद को अलग कर लिया है। बाजार विश्लेषकों ने इस रिपोर्ट को "सनसनीखेज" करार दिया है और उनका मानना है कि इसका शेयर बाजार पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के डॉ. वी के विजयकुमार ने कहा कि मौजूदा बुल मार्केट में 'बाय ऑन डिप्स' रणनीति फिर से काम कर सकती है।

चालू सेबी जांच

निवेशक सेबी की पिछली Hindenburg रिपोर्ट की जांच के परिणामों पर भी करीब से नजर रख रहे हैं। सेबी ने बताया कि 24 मामलों में से एक और जांच मार्च 2024 में पूरी हो गई थी, और अंतिम जांच पूरी होने के करीब है। सेबी की चल रही जांच से प्रमुख बिंदु:
  • 100 से अधिक सम्मन जारी किए गए।
  • जानकारी एकत्र करने के लिए लगभग 1,100 पत्र और ईमेल भेजे गए।
  • घरेलू और विदेशी नियामकों के साथ 100 से अधिक संचार।
  • 12,000 पृष्ठों के साथ 300 से अधिक दस्तावेजों की जांच की गई।

निवेशकों के लिए सलाह

सेबी ने निवेशकों को सलाह दी है कि वे इस तरह की रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देने से पहले सावधानी बरतें। कुछ बाजार प्रतिभागियों ने जनवरी 2023 की Hindenburg रिपोर्ट के बाद आए बाजार क्रैश की पुनरावृत्ति की आशंका जताई है, जिसने अदाणी समूह पर गंभीर आरोप लगाए थे।

विस्तृत बाजार पर असर

हालांकि Hindenburg विवाद का असर सीमित रहा है। सेंसेक्स 400 अंक नीचे ट्रेड कर रहा था, जिसमें आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL), और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) जैसी प्रमुख कंपनियों में गिरावट दर्ज की गई। Hindenburg रिपोर्ट के फिर से उभरने और संबंधित विवाद के कारण अदाणी समूह के शेयरों पर अल्पकालिक प्रभाव पड़ा है। हालांकि, बाजार विश्लेषक आशान्वित हैं कि स्थिति स्थिर हो जाएगी, और निवेशकों को इस मामले में सावधानी बरतने की सलाह दी गई है।

Categories: अर्थव्यवस्था समाचार