संताल परगना के प्रमुख नेता लोबिन हेम्ब्रम ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इस कदम के साथ ही भाजपा ने संताल परगना में अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है। हेम्ब्रम का यह निर्णय जेएमएम के भीतर चल रही अंतर्कलह को उजागर करता है।
हेम्ब्रम ने आज भाजपा में शामिल होते हुए पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ मिलकर अपनी नई यात्रा की शुरुआत की। इस अवसर पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व मंत्री चंपाई सोरेन, और सीतो सोरेन समेत कई प्रमुख नेता उपस्थित थे।
लोबिन हेम्ब्रम, जिन्होंने झारखंड आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और पांच बार विधायक रहे, ने भाजपा में शामिल होने के बाद कहा कि उनकी जेएमएम से नाराजगी नहीं है, बल्कि पार्टी के मौजूदा नेताओं से है। उन्होंने आरोप लगाया कि जेएमएम में पुराने नेताओं की कोई पूछ-परख नहीं रह गई है और कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं।
हेम्ब्रम ने संताल परगना की बदलती जनसांख्यिकी पर चिंता जताई और कहा कि बांग्लादेशी प्रवासियों की वजह से आदिवासियों की जमीन छीनी जा रही है। उन्होंने भाजपा का समर्थन करते हुए कहा कि वे आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करेंगे।
अपने राजनीतिक सफर के बारे में बात करते हुए हेम्ब्रम ने बताया कि उन्होंने झारखंड के लिए कई संघर्ष किए हैं और कई बार जेल में भी रहे हैं। 1995 में जब उन्हें जेएमएम से टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। हेम्ब्रम ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करते हुए बोरियो शिबू सोरेन कॉलेज की स्थापना की और झारखंड के उत्कृष्ट विधायक के रूप में सम्मानित भी हुए।
लोबिन हेम्ब्रम का भाजपा में शामिल होना भाजपा के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक जीत है, जिससे पार्टी की स्थिति संताल परगना में और मजबूत हो सकती है।