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मोदी से मिलकर भूपेंद्र चौधरी ने खराब प्रदर्शन की ली जिम्मेदारी

Published on July 18, 2024 by Vivek Kumar

[caption id="attachment_6247" align="alignnone" width="801"] उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बुधवार को दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने पहुंचे।[/caption] लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं होने के कारण चल रहे मंथन एवं समीक्षा के दौर और संगठन व सरकार की भूमिका पर उठ रहे सवालों के बीच पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। बताया जाता है कि चौधरी ने इस मुलाकात के दौरान प्रदेश में लोकसभा चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली है। चौधरी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से भी मिले। इससे पहले शाह ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। संभावना है कि उत्तर प्रदेश भाजपा में जल्द ही बड़ा फेरबदल हो सकता है।

संगठनात्मक मामलों पर चर्चा

सूत्रों के मुताबिक, बैठक के दौरान भूपेंद्र सिंह चौधरी ने उत्तर प्रदेश में पार्टी के संगठनात्मक मामलों से संबंधित कई मुद्दों से प्रधानमंत्री को अवगत कराया। ऐसा माना जा रहा है कि 2027 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के रूप में एक ओबीसी नेता को रखना चाहती है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष चौधरी मुरादाबाद से एक जाट नेता हैं और उन्हें 2022 में समुदाय के भीतर भाजपा के खिलाफ नाराजगी को शांत करने के लिए यह भूमिका दी गई थी।

आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी

उत्तर प्रदेश में पिछले दो विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की है और 'हैट्रिक' बनाने के लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इसलिए पार्टी संगठन में व्यापक और बड़े बदलाव की संभावना है। लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के मुकाबले कम सीटें पाने के बाद भाजपा के भीतर अलग-अलग आवाजें उठ रही हैं।

पार्टी नेतृत्व की मुलाकातें

इन सबके बीच चौधरी और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से अलग-अलग मुलाकात की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मौर्य के बीच मतभेदों की खबरों को तब हवा लगी, जब मौर्य ने 14 जुलाई को लखनऊ में हुई पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में कहा कि 'संगठन हमेशा सरकार से बड़ा होता है'। उनके बयान को मुख्यमंत्री योगी पर हमले के रूप में देखा गया।

मुख्यमंत्री योगी का आत्मविश्वास

नड्डा ने भी इस बैठक में भाग लिया था, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में चुनावी हार के लिए 'अति आत्मविश्वास' को भी परोक्ष रूप से जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि पार्टी विपक्षी गठबंधन इंडिया के प्रचार अभियान का प्रभावी ढंग से मुकाबला नहीं कर सकी। बहरहाल, पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की ओर से मौर्य और चौधरी से बात करने की पहल को आगामी चुनावों से पहले संगठन में खामियों को दुरुस्त करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

उत्तर प्रदेश का राजनीतिक महत्व

लोकसभा चुनाव में विपक्ष के प्रदर्शन और भाजपा को लगे झटके के बाद संगठन में चल रही खींचतान भाजपा के लिए चिंता का सबब बनी हुई है, क्योंकि 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से भाजपा के एक प्रमुख राजनीतिक ताकत के रूप में उभरने में उत्तर प्रदेश का बड़ा योगदान माना जाता है।

संगठन की प्राथमिकता

नड्डा से मुलाकात के अगले ही दिन उपमुख्यमंत्री मौर्य ने बुधवार को फिर से 'संगठन, सरकार से बड़ा है' वाला बयान दोहराया। मौर्य के कार्यालय की ओर से 'एक्स' पर की गई एक पोस्ट में उपमुख्यमंत्री ने कहा, 'संगठन सरकार से बड़ा है, कार्यकर्ताओं का दर्द मेरा दर्द है। संगठन से बड़ा कोई नहीं, कार्यकर्ता ही गौरव हैं।' हालांकि, योगी को उनके समर्थकों द्वारा एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में देखा जाता है, क्योंकि उन्होंने पार्टी के हिंदुत्व के एजंडे को आगे बढ़ाया है और कानून- व्यवस्था पर मजबूत पकड़ बनाए रखी है।

आगामी उपचुनाव

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया कि राज्य में कई नेताओं की टिप्पणियों ने एक अनुशासित पार्टी के रूप में भाजपा की छवि को धूमिल किया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि निराशाजनक चुनाव परिणामों के बाद यह अपेक्षित भी था कि नेता अपनी भावनाओं को बाहर निकालें। भाजपा सूत्रों ने कहा कि अभी पार्टी नेतृत्व की शीर्ष प्राथमिकता राज्य में 10 सीट पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करना है। निर्वाचन आयोग उपचुनाव की तारीख की घोषणा छह माह के भीतर कभी भी कर सकता है।

चुनाव परिणाम और चुनौतियाँ

विधानसभा की जिन सीट पर चुनाव कराए जाने हैं, उनमें से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और समाजवादी पार्टी के पास पांच-पांच सीटें थीं। हाल के लोकसभा चुनावों में इंडिया गठबंधन ने राज्य की 80 लोकसभा सीट में से 43 पर जीत हासिल की थी, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने 36 सीट जीती थीं। राजग ने वर्ष 2019 में 64 सीटें जीती थीं।

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