महायुति ने 230 सीटें जीतीं, मुख्यमंत्री पर तीनों पार्टियां मिलकर करेंगी फैसला
महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन (भाजपा, शिवसेना-शिंदे गुट, और एनसीपी-अजित पवार गुट) ने भारी जीत दर्ज की है। 288 सीटों वाली विधानसभा में गठबंधन ने 230 सीटों पर कब्जा किया।
महायुति की शानदार जीत
- भाजपा: 132 सीटें
- शिवसेना (शिंदे गुट): 57 सीटें
- एनसीपी (अजित पवार गुट): 41 सीटें
महाविकास अघाड़ी का कमजोर प्रदर्शन
महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना-उद्धव गुट, और एनसीपी-शरद पवार गुट) महज 46 सीटों पर सिमट गई।
- शिवसेना (उद्धव गुट): 20 सीटें
- कांग्रेस: 16 सीटें
- एनसीपी (शरद पवार गुट): 10 सीटें
अन्य दलों में सपा ने 2 सीटें जीतीं और 10 सीटें निर्दलीय और छोटे दलों के खाते में गईं।
मुख्यमंत्री पद पर चर्चा जारी
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि गठबंधन की तीनों पार्टियां मिलकर तय करेंगी कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। वहीं, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने सोशल मीडिया पर लिखा, “एक हैं तो सेफ हैं।”
वोटिंग में उत्साह बढ़ा
20 नवंबर को महाराष्ट्र में मतदान हुआ, जिसमें 65.11% लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। यह 2019 के 61.4% की तुलना में 4% अधिक है।
महायुति की सफलता के कारण
- गठबंधन की एकता: भाजपा, शिवसेना-शिंदे गुट, और एनसीपी-अजित पवार गुट का सामूहिक चुनावी अभियान।
- स्थिरता का वादा: महायुति ने राज्य में स्थिर और मजबूत सरकार देने का वादा किया, जिसे जनता ने सराहा।
- विपक्ष की कमजोरी: महाविकास अघाड़ी के भीतर समन्वय की कमी और नेतृत्व संकट ने उनकी संभावनाओं को प्रभावित किया।
महाविकास अघाड़ी की चुनौतियां
महाविकास अघाड़ी में आपसी मतभेद और अलग-अलग रणनीतियों के कारण गठबंधन कमजोर पड़ गया। कांग्रेस, शिवसेना-उद्धव गुट, और एनसीपी-शरद पवार गुट के बीच स्पष्ट रणनीति की कमी उनकी हार का प्रमुख कारण बनी।
नतीजों के बाद का परिदृश्य
महायुति की यह जीत राज्य में उनके प्रभाव और मजबूत संगठन का प्रमाण है। हालांकि, मुख्यमंत्री पद पर फैसला अब भी बाकी है। जनता की उम्मीदों पर खरा उतरना महायुति के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।
महाराष्ट्र की राजनीति में यह चुनाव एक नया अध्याय जोड़ता है, जहां महायुति ने जनता का विश्वास जीतकर अपनी स्थिति को मजबूत किया है।