केरल के वायनाड में हाल ही में हुए भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई है। इस हादसे के पांचवे दिन भी राहत और बचाव का काम जारी है। इस बीच, बीजेपी नेता ज्ञानदेव आहूजा ने एक विवादास्पद बयान देकर इस त्रासदी को केरल में गोहत्या की प्रथा से जोड़ दिया है।
ज्ञानदेव आहूजा, जो राजस्थान के पूर्व विधायक हैं, ने वायनाड भूस्खलन को गोहत्या की प्रथा से जोड़ा। उन्होंने दावा किया कि जहाँ भी गोहत्या होती है, वहाँ प्राकृतिक आपदाएँ जैसे भूस्खलन और अन्य त्रासदियाँ होती रहती हैं। आहूजा ने कहा कि 2018 से उन्होंने एक पैटर्न देखा है, जहाँ गोहत्या से संबंधित क्षेत्रों में ऐसी दुखद घटनाएँ होती रहती हैं। उनका कहना है कि अगर गोहत्या की प्रथा बंद नहीं होती, तो इसी तरह की त्रासदियाँ केरल में भी होती रहेंगी।
वायनाड में हुए भूस्खलन में मरने वालों की संख्या बढ़कर 344 हो गई है, और 206 लोग अभी भी लापता हैं। राहत और बचाव कार्य में 1,500 से अधिक कर्मी शामिल हैं, जिनमें सुरक्षा बल, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, अग्निशमन सेवा और स्वयंसेवक शामिल हैं। शनिवार को सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों जैसे चूरलमाला, वेल्लारीमाला, मुंडकाईल और पुंचिरीमाडोम में तलाशी अभियान जारी है।
अब तक 146 शवों की पहचान हो चुकी है, जबकि 74 शवों की पहचान होना बाकी है। मृतकों में 30 बच्चे भी शामिल हैं। मलबे से बड़ी संख्या में क्षत-विक्षत शवों के अंग भी बरामद किए गए हैं।
ज्ञानदेव आहूजा का बयान विवादास्पद है और इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएँ आई हैं। उनकी टिप्पणी को लेकर कई लोग असहमत हैं और इसे असंवेदनशील मानते हैं, खासकर जब स्थिति इतनी गंभीर है और लोग राहत के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
इस स्थिति में, जहां पर आपातकालीन सेवाएँ लोगों की जान बचाने में जुटी हैं, इस तरह के विवादास्पद बयानों से केवल स्थिति की जटिलता बढ़ती है। आने वाले दिनों में राहत और बचाव कार्य की स्थिति पर ध्यान देना आवश्यक होगा, साथ ही इस त्रासदी से संबंधित संवेदनशील मुद्दों पर सटीक और जिम्मेदार दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।