राज्यसभा में भाजपा की संख्या 90 से कम, उपचुनावों के बाद सुधार की उम्मीद

हाल के वर्षों में पहली बार राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों की संख्या 90 से कम हो गई है। हालाँकि, आगामी उपचुनावों और मनोनीत सदस्यों की मदद से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) अपनी स्थिति को और भी मजबूत कर सकता है।

भाजपा की स्थिति और संभावनाएँ

मौजूदा रिक्तियों को भरने के लिए होने वाले उपचुनावों के बाद, भाजपा और उसके सहयोगी दल बिहार, महाराष्ट्र और असम में दो-दो सीटें जीतने की उम्मीद कर रहे हैं। इसके अलावा, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान, और त्रिपुरा में भी भाजपा को एक-एक सीट जीतने का भरोसा है। सरकार की ओर से चार नए सदस्यों को मनोनीत किया जाना अभी बाकी है, जो आमतौर पर सत्ता पक्ष के साथ होते हैं।

कांग्रेस की स्थिति और चुनौतियाँ

कांग्रेस, जो राज्यसभा में एकमात्र सीट के उपचुनाव में जीत की कोशिश कर रही है, को राजस्थान में एक सीट गंवाने का लगभग तय है। राजस्थान में भाजपा का मजबूत बहुमत है, जिससे कांग्रेस के लिए यह सीट बरकरार रखना मुश्किल है। कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य केसी वेणुगोपाल के लोकसभा चुनाव जीतने के कारण राजस्थान की यह सीट खाली हुई है।

तेलंगाना में कांग्रेस के लिए एक मौका है, जहां भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के के केशव राव के इस्तीफे के बाद उपचुनाव हो रहे हैं। राव अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं, जिससे कांग्रेस के पास यह सीट जीतने का अवसर है।

भाजपा का आत्मविश्वास और कांग्रेस की उम्मीदें

हरियाणा में भी भाजपा को एकमात्र सीट जीतने का भरोसा है, जहां राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा के लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद सीट खाली हुई है। हालांकि, कांग्रेस को उम्मीद है कि कुछ स्वतंत्र या क्षेत्रीय दलों के विधायकों का समर्थन मिल सकता है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अक्तूबर में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले कुछ विधायक पाला बदल सकते हैं, जिससे कांग्रेस को राज्यसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने का मौका मिल सकता है।

राज्यसभा की मौजूदा स्थिति

राज्यसभा में फिलहाल सदस्यों की कुल संख्या 226 है। इनमें भाजपा के 86, कांग्रेस के 26 और तृणमूल कांग्रेस के 13 सदस्य हैं। वर्तमान में 19 पद रिक्त हैं। अन्य प्रमुख दलों के सदस्यों की संख्या इस प्रकार है:

– वाईएसआर कांग्रेस: 11
– आम आदमी पार्टी: 10
– द्रविड़ मुनेत्र कषगम: 10
– बीजू जनता दल: 9
– भारत राष्ट्र समिति: 5
– राष्ट्रीय जनता दल: 5
– मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी: 5
– अखिल भारतीय अन्नाद्रुमक मुनेत्र कषगम: 4
– जनता दल (एकी): 4
– राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी: 4
– समाजवादी पार्टी: 4

भाजपा और उसके सहयोगी दल आगामी उपचुनावों और मनोनीत सदस्यों की मदद से राज्यसभा में अपनी स्थिति को और मजबूत करने की तैयारी कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस को उम्मीद है कि कुछ स्वतंत्र और क्षेत्रीय दलों के समर्थन से वे भाजपा को टक्कर दे सकते हैं। राज्यसभा में सदस्यता संख्या के बदलाव से आगामी राजनीतिक समीकरणों पर बड़ा असर पड़ सकता है।