बिहार में धड़ाधड़ पुल गिर रहे हैं। पुलों के ‘ढहने का सिलसिला थम ही नहीं रहा है। बरसात के पहले ही एक हफ्ते में मोतिहारी में रविवार को पुल गिरने की तीसरी घटना हुई। इससे पहले अररिया और सिवान में पुल गिरे।
रविवार को बिहार के पूर्वी चंपारण के मोतिहारी के घोड़ासहन ब्लाक में पुल गिरा। इसकी लंबाई लगभग 40 फुट थी और इसे लगभग 50 करोड़ की लागत से बनाया जा रहा था। पुल की ढलाई कल ही हुई थी। रात में अचानक हर भरभरा कर गिर गया। बताया जा रहा है कि घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा था।
इससे पहले बिहार के अररिया और सिवान में पुल गिरने का मामला सामने आया। शनिवार को सिवान में पुल गिरा था। गंडक नदी के नहर पर बना 30 फीट लंबा पुल महाराजगंज के पटेढ़ा और गरौली गांव के बीच बना हुआ था। यह पुल 40 से 45 खाल पुराना था। नहर की सफाई के दौरान मिट्टी काटने के कारण पुल ध्वस्त हो गया।
मंगलवार (8 जून) को अररिया के सिकटी प्रखंड में 2 करोड़ की लागत से बना छत गिर गया था। बकरा नदी पर बन रहे पुल तीन पाये ध्वस्त हो गए थे। एप्रोच पथ का निर्माण होना था, इससे पहले ही पुल गिर गया।
बिहार में भ्रष्टाचार का आलम ऐसा है कि पिछले पांच साल में लगभग 10 पुल निर्माण के दौरान या निर्माण कार्य ही ध्वस्त हो गए। चार जून 2023 को भागलपुर में गंगा नदी पर बन रहा पुल गिरने के बाद खूब हंगामा मचा था। ग,777 करोड़ रुपए की लागत से भागलपुर में अगुवानी-सुल्तानगंज पुल बन रहा था। वर्ष 2022 में भी निर्माण के दौरान इस पुल का एक हिस्सा गिर गया था।
तब पुल के डिजाइन में ही गड़बड़ी की बात सामने आई थी। बिहार सरकार ने जिस कंपनी को पुल निर्माण का काम दिया था, उसे सरकार ने तब बिहार में नौ हजार करोड़ रुपए के और प्रोजेक्ट भी दिए थे। इसी साल 22 मार्च 2024 को सुपौल में निर्माणाधीन पुल का हिस्सा गिर गया था। इसमें एक व्यक्ति की मौत भी हो गई थी। अन्य नौ लोग घायल हुए थे। पुल का निर्माण एनएचएआइ कर रहा था। मधुबनी के भेजा और सुपौल जिले के बकौर के बीच कोशी नदी पर 0.2 किलोमीटर लंबा पुल बन रहा था। निर्माण के क्रम में ही पुल का एक हिस्सा ध्वस्त हो गया था।
बिहटा-सरमेरा फोर लेन मार्ग पर रुस्तमंगज गांव में बन रहा पुल 9 फरवरी 2022 को ध्वस्त हो गया था। लोगों का आरोप था कि हूलिमण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल गया था। उसी साल 8 नवंबर को नालंदा में भी एक निर्माणाधीन पुल ध्वस्त हो गया था। एक आदमी की जान भी चली गई थी। यह पुल पहले भी एक बार निर्माण के दौरान ही ध्वस्त हो गया था। नौ जून 2022 को सहरसा जिले में भी एक पुल निर्माण के क्रम में ही ध्वस्त हो गया था। इसमें तीन मजदूर गंभीर रूप से घायल हुए थे। सिमरी-बख्तियारपुर प्रखंड के कुंडुमेर गांव में कोशी तटबंध के पूर्वी हिस्से पर यह पुल बन रहा था। मई 2023 में भी बायसी प्रखंड के चंद्रगामा पंचायत में सलीम चौक के पास ढलाई के दौरान ही पुल गिर गया था। इस दौरान कई मजदूर घायल भी हुए थे।
बिहार में पुलों के गिरने की घटनाओं ने राज्य में निर्माण की गुणवत्ता और भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई बार निर्माणाधीन पुलों के गिरने से आम जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। सरकार की नीतियों और ठेकेदारों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। इन घटनाओं से साफ होता है कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ताहीन सामग्री का इस्तेमाल हो रहा है और सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है।
राज्य सरकार को इन घटनाओं की गंभीरता से जांच करानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके। जनता के धन का सही उपयोग सुनिश्चित करने के लिए सख्त निगरानी व्यवस्था भी जरूरी है।