“क्रिस्टिया फ्रीलैंड का इस्तीफा, जस्टिन ट्रूडो की सरकार को बड़ा झटका”

“विपक्ष ने इस्तीफे की की मांग, टैरिफ विवाद और नेतृत्व संकट के बीच बढ़ी मुश्किलें”

कनाडा की उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने सोमवार को प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ टकराव के बाद पद छोड़ दिया। उनका इस्तीफा ट्रूडो के लिए एक अप्रत्याशित झटका माना जा रहा है, क्योंकि दोनों के बीच अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा पर 25 प्रतिशत टैरिफ़ लगाने की संभावना को लेकर मतभेद थे। यह इस्तीफा ट्रूडो के लिए एक बड़ा संकट बन गया है, क्योंकि उनका समर्थन पहले से ही गिर चुका है और उनकी अल्पमत सरकार में एक और कैबिनेट सदस्य का इस्तीफा उनकी पकड़ को कमजोर कर रहा है।

फ्रीलैंड का इस्तीफा, जो 2015 में सत्ता में आने के बाद ट्रूडो के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहा है, एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम है। फ्रीलैंड के इस्तीफे ने सरकार की नीतियों और नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं। विपक्षी दलों ने इसे एक संकेत माना है कि अब ट्रूडो को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहिए। कनाडा की एनडीपी पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने सीधे तौर पर ट्रूडो से इस्तीफे की मांग की है, उन्होंने कहा कि कनाडा के लोग महंगाई और अन्य समस्याओं से परेशान हैं, जबकि लिबरल पार्टी आपसी झगड़ों में उलझी हुई है।

फ्रीलैंड का इस्तीफा केवल एक व्यक्तिगत कदम नहीं है, बल्कि यह ट्रूडो की आर्थिक नीतियों पर भी सीधा हमला है। इस घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब ट्रूडो की कैबिनेट पहले की तरह एकजुट नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि लिबरल पार्टी में अब नेतृत्व का संकट उत्पन्न हो सकता है, खासकर अगले साल के चुनावों के दृष्टिगत।

इसके साथ ही, ट्रूडो को विपक्षी दलों से और भी आक्रामक प्रतिक्रिया मिल रही है। कंज़र्वेटिव पार्टी के नेता पीएर पोलिवेयर ने भी वित्त मंत्री के इस्तीफे के बाद ट्रूडो पर संसद में बजट पास कराने का दबाव डाला है। ट्रंप के संभावित टैरिफ़ पर विवाद ने मामले को और जटिल बना दिया है। फ्रीलैंड ने इस्तीफे के कारण के रूप में टैरिफ़ विवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक गंभीर चुनौती है और इसे राजनीतिक खेल से परे, गंभीरता से हल किया जाना चाहिए।

इस घटनाक्रम के बाद यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्रूडो के प्रधानमंत्री बने रहने की राह अब और कठिन हो सकती है।