भाजपा में शामिल होने की चर्चा के बीच रविवार को दिल्ली पहुंचे झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि उनके लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। सोरेन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक विस्तृत लेख लिखा, जिसमें उन्होंने कहा कि झारखंड का मुख्यमंत्री रहते हुए उनका अपमान किया गया। चंपई सोरेन ने कहा कि वह तीन विकल्पों पर विचार कर रहे हैं सेवानिवृत्त होना, नई पार्टी शुरू करना या किसी अन्य पार्टी में शामिल होना। चंपई सोरेन को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रविवार को भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने और समाज को बांटने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता अजय कुमार ने रविवार को दावा किया कि झामुमो नेता के विरोधी खेमे में शामिल होने से राज्य में सत्तारूढ़ ‘इंडिया’ गठबंधन को कोई समस्या नहीं होगी। कुमार ने दावा किया सोरेन ने कहा, मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हमने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।
मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। उन्होंने कहा, आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव तक मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। कि अगर सोरेन पाला बदलते हैं तो इससे राज्य में भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के बीच दरार पैदा हो जाएगी। चंपई ने अपने बयान में कहा, झारखंड का बच्चा- बच्चा जनता है कि अपने कार्यकाल के दौरान, मैंने कभी भी, किसी के साथ ना गलत किया, ना होने दिया। इसी बीच, हूल दिवस के अगले दिन, मुझे पता चला कि अगले दो दिनों के मेरे सभी कार्यक्रमों को पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थगित करवा दिया गया है। इसमें एक सार्वजनिक कार्यक्रम दुमका में था, जबकि दूसरा कार्यक्रम पीजीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र वितरण करने का था।
सोरेन ने कहा, पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा तीन जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है, तब तक आप मुख्यमंत्री के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते। उन्होंने लिखा, क्या लोकतंत्र में इससे अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे? उन्होंने कहा, मुझे कभी भी सत्ता का लोभ रत्ती भर भी नहीं था, लेकिन आत्म- सम्मान पर लगी इस चोट को मैं किसे दिखाता ? अपनों द्वारा दिए गए दर्द को कहां जाहिर करता ? कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे एजंडा तक नहीं बताया गया था। बैठक में मुझसे इस्तीफा मांगा गया। मैं चकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था।
सोरेन ने कहा, मुझे ऐसा लगा, मानो उस पार्टी में मेरा कोई वजूद ही नहीं है, कोई अस्तित्व ही नहीं है, जिस पार्टी के लिए हमने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। मैंने भारी मन से विधायक दल की उसी बैठक में कहा कि आज से मेरे जीवन का नया अध्याय शुरू होने जा रहा है। उन्होंने कहा, आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव तक मेरे लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं।