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संताल परगना में आदिवासी आबादी घटी, ईसाई और मुस्लिम जनसंख्या में हुई वृद्धि

Published on September 12, 2024 by Vivek Kumar

[caption id="attachment_17856" align="alignnone" width="1024"]Tribal population decreased in Santal Pargana, Christian and Muslim population increased Tribal population decreased in Santal Pargana, Christian and Muslim population increased[/caption] रांची: झारखंड में जनसांख्यिकीय बदलाव से संबंधित मामले में केंद्र सरकार ने झारखंड उच्च न्यायालय में अपना जवाब दाखिल किया। यह जवाब संताल परगना क्षेत्र में जनसंख्या में बदलाव के बारे में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान पेश किया गया। केंद्र द्वारा प्रस्तुत हलफनामे में यह खुलासा हुआ कि इस क्षेत्र में आदिवासी जनसंख्या में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो 44% से घटकर 28% हो गई है। इसके पीछे प्रवास और धार्मिक धर्मांतरण जैसे प्रमुख कारण बताए गए हैं। इसके अलावा, केंद्र ने मुस्लिम जनसंख्या में उल्लेखनीय वृद्धि की ओर भी ध्यान दिलाया, विशेषकर पाकुड़ और साहिबगंज जिलों में, जहाँ यह प्रतिशत 20% से बढ़कर 40% हो गया। सबसे चौंकाने वाला आंकड़ा यह था कि ईसाई जनसंख्या में 6,000 गुना वृद्धि होने का दावा किया गया है। यह याचिका डैनियल डैनिश द्वारा दायर की गई थी, जिसमें संताल परगना के छह जिलों में बांग्लादेशी नागरिकों की कथित घुसपैठ को लेकर चिंता जताई गई थी। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस घुसपैठ ने जनसंख्या संरचना में बदलाव किया है और इस्लामी संस्थानों जैसे मदरसों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। यह भी आरोप लगाया गया कि घुसपैठिए स्थानीय आदिवासियों के साथ विवाह संबंध स्थापित कर रहे हैं, जिससे क्षेत्र की जनसांख्यिकीय स्थिति प्रभावित हो रही है। केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार किया और कहा कि आदिवासी जनसंख्या में गिरावट एक गंभीर चिंता का विषय है। उन्होंने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सीमा सुरक्षा बल (BSF) और खुफिया ब्यूरो (IB) जैसी संबंधित एजेंसियों से परामर्श के बाद विस्तृत जवाब दाखिल किया जाएगा। इस मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी, जहाँ केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद की जा रही है। उच्च न्यायालय इस बात की जांच कर रहा है कि क्या बांग्लादेशी घुसपैठ संताल परगना क्षेत्र में जनसांख्यिकीय बदलाव में योगदान दे रही है और इसका झारखंड के व्यापक जनसंख्या तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।

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