खरमास हिंदू धर्म में एक विशेष काल है, जब सूर्य देव
धनु और
मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इस समय को शास्त्रों के अनुसार शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है।
खरमास का समापन जब होता है, तब सूर्य देव
मकर राशि में प्रवेश करते हैं, और इसके साथ ही
उत्तरायण की शुरुआत होती है, जो कि शुभ कार्यों का आरंभ होता है।
खरमास का समापन कब होगा?
- खरमास 2025 का समापन 14 जनवरी 2025 को होगा। इस दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे खरमास समाप्त होगा।
- समाप्ति समय: खरमास का समापन 14 जनवरी 2025 को तड़के 3:19 बजे होगा। साथ ही, इस दिन को मकर संक्रांति के रूप में मनाया जाएगा।
- उत्तरायण की शुरुआत: सूर्य के उत्तरायण होने से यह दिन मांगलिक कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति हिंदू कैलेंडर का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर साल
14 जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं और यह
उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक है। उत्तरायण का समय शुभ कार्यों के लिए अनुकूल माना जाता है, क्योंकि सूर्य के उत्तरायण होने से प्रकाश और ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है। मकर संक्रांति के दिन से विवाह, गृह प्रवेश, और अन्य मांगलिक कार्यों के लिए उपयुक्त समय माना जाता है।
खरमास के दौरान क्यों नहीं होते हैं मांगलिक कार्य?
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब सूर्य देव बृहस्पति (गुरु) की राशियों में प्रवेश करते हैं, तो उसे शुभ नहीं माना जाता है। इस समय को खरमास कहा जाता है।
- खरमास का यह समय सूर्य के दक्षिणायन (दक्षिण दिशा में सूर्य का चलना) से जुड़ा होता है, जो पारंपरिक रूप से अशुभ माना जाता है।
- इस समय में शुभ कार्यों के आयोजन से बचने की परंपरा है, क्योंकि इस दौरान ग्रहों का प्रभाव भी अनुकूल नहीं होता है।
मकर संक्रांति के साथ शुरू होते हैं शुभ कार्य
14 जनवरी को
मकर संक्रांति के दिन से मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। यह दिन विशेष रूप से शादियों, गृह प्रवेश, नवनिर्माण, और अन्य शुभ अवसरों के लिए अनुकूल माना जाता है। इस दिन को
उत्तरायण के रूप में भी मनाया जाता है, जो कि प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव का प्रतीक है।
गंगा सागर मेला और स्नान का महत्व
गंगा सागर मेला भी मकर संक्रांति के समय आयोजित होता है, खासकर
गंगासागर में। इस दिन लाखों लोग गंगासागर में स्नान करने के लिए पहुंचते हैं। इसे विशेष रूप से पुण्य प्राप्ति और मोक्ष के लिए शुभ माना जाता है। गंगा में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
खिचड़ी का महत्व
मकर संक्रांति पर
खिचड़ी का विशेष महत्व है। इस दिन लोग खिचड़ी का भोग बनाते हैं और उसे भगवान को अर्पित करते हैं। इसके साथ ही, खिचड़ी खाने का परंपरागत महत्व है, जो सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है।
खरमास और मकर संक्रांति से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य:
- खरमास का काल: यह समय आमतौर पर मीन और धनु राशि में सूर्य के प्रवेश के दौरान आता है, और हर साल इसका समय थोड़ा अलग हो सकता है।
- मकर संक्रांति का दिन: यह दिन 14 जनवरी को होता है और इस दिन से सूर्य देव का उत्तरायण होना शुरू होता है, जो हिंदू धर्म में एक अत्यधिक शुभ समय माना जाता है।
- उत्तरायण का महत्व: उत्तरायण का अर्थ है कि सूर्य देव उत्तर दिशा में बढ़ रहे हैं, जिससे दिन लंबे होते हैं और प्रकाश की मात्रा बढ़ती है, जो समृद्धि और खुशहाली का संकेत है।
- मांगलिक कार्यों की शुरुआत: मकर संक्रांति के बाद विवाह, गृह प्रवेश, व्यापार शुरू करने, और अन्य शुभ कार्यों के आयोजन का समय आता है।
- खिचड़ी का महत्व: मकर संक्रांति के दिन लोग खिचड़ी खाने की परंपरा का पालन करते हैं, जिसे शरीर को ऊर्जा देने वाला और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।
निष्कर्ष:
खरमास एक विशेष काल होता है, जो प्रत्येक वर्ष आता है और इसके समाप्त होते ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है।
मकर संक्रांति 14 जनवरी को होगी, जो विशेष रूप से उत्तरायण की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन से शादियों, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों का आयोजन किया जा सकता है। इसके अलावा,
गंगा सागर मेला और
खिचड़ी का महत्व भी इस दिन के साथ जुड़ा हुआ है, जिससे इस पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।