महाकुंभ में पहला अमृत स्नान, 3.5 करोड़ ने डुबकी लगाई

महाकुंभ मेला, जो हर 12 साल में आयोजित होता है, भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण आयोजन है। इसका आयोजन प्रयागराज (प्राचीन इलाहाबाद) के संगम पर होता है, जहां तीन पवित्र नदियां – गंगा, यमुन और सरस्वती मिलती हैं। इस मेले में करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं और संगम में स्नान कर अपनी आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की कामना करते हैं।

पहला अमृत स्नान
महाकुंभ के पहले अमृत स्नान (जिसे पहले शाही स्नान कहा जाता था) का आयोजन मकर संक्रांति के दिन, 14 जनवरी 2025 को हुआ। इस दिन 3.5 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, जो इस पवित्र अवसर का हिस्सा बने। अमृत स्नान का आरंभ सुबह 6 बजे हुआ और शाम 6 बजे तक जारी रहा। इस स्नान में सभी प्रमुख अखाड़ों के संतों ने भाग लिया, जिनमें जूना अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा और अन्य शामिल थे।

भीड़ और व्यवस्था
इस धार्मिक आयोजन में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण प्रयागराज में गजब का उत्साह और गर्मजोशी देखने को मिली। रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड की ओर जाने वाली सड़कों पर भारी भीड़ का सामना करना पड़ा। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर इतनी भीड़ थी कि यात्रियों को प्लेटफार्म तक भेजने की व्यवस्था ट्रेन के अनुसार की गई, जिससे कोई अप्रिय घटना न हो। इसके अलावा, 55 महाकुंभ स्पेशल ट्रेनें चलायी गईं ताकि श्रद्धालुओं को सुरक्षित तरीके से उनके घर वापस भेजा जा सके।

स्वास्थ्य और सुरक्षा
महाकुंभ मेला प्रशासन ने सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए कई कदम उठाए थे। भीड़ नियंत्रण के लिए मेला कंट्रोल रूम में अधिकारियों ने मोर्चा संभाला और सुरक्षा बलों को तैनात किया। इसके अलावा, चिकित्सा सेवाओं के तहत, हार्ट अटैक से हुई 4 मौतों के बाद केंद्रीय अस्पताल में श्रद्धालुओं का इलाज भी किया गया।

रैन बसेरे और ठहरने की व्यवस्था
कई श्रद्धालु जिन्हें रेलवे स्टेशन से यात्रा के लिए समय नहीं मिल पाया, उन्हें रैन बसेरों का रुख करना पड़ा, लेकिन वहां भी भारी भीड़ के कारण रैन बसेरे फुल हो गए थे। इस वजह से बहुत से श्रद्धालु सड़कों पर ही रात बिताने के लिए मजबूर हो गए थे।

महाकुंभ का अंतर्राष्ट्रीय आकर्षण
महाकुंभ की लोकप्रियता सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनियाभर में फैली हुई है। इस साल, कई विदेशी श्रद्धालु भी इस आयोजन का हिस्सा बने, जैसे कि पोलैंड, इटली, तुर्की और ईरान से आए श्रद्धालुओं ने महाकुंभ का अनुभव साझा किया। एक पोलैंड की महिला ने कहा कि यह आयोजन ऐसा है जिसे उन्होंने पहले कभी नहीं देखा और उन्होंने इसे एक अद्वितीय अनुभव बताया।

प्रशासनिक प्रयास और आयोजनों की व्यवस्था
सीएम योगी आदित्यनाथ ने इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी प्रशासनिक अधिकारियों, पुलिस, सफाईकर्मियों और स्वयंसेवी संगठनों का आभार व्यक्त किया। इसके साथ ही, महाकुंभ के हर पहलू को सुव्यवस्थित तरीके से संचालित करने के लिए ड्रोन कैमरों और CCTV की मदद ली गई। इसके अतिरिक्त, अंडर वॉटर ड्रोन से संगम की गहराई की निगरानी की गई, जिससे जल स्तर और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा सकी।

सांस्कृतिक और धार्मिक गतिविधियां
अमृत स्नान के दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और शंख बजाए। साथ ही, संतों और श्रद्धालुओं ने ‘हर-हर महादेव’ और ‘जय गंगा मैया’ जैसे उद्घोष किए। खासकर जूना अखाड़े में महिला नागा साधुओं का हिस्सा बनना एक विशेष आकर्षण था, क्योंकि इस अखाड़े में महिला साधुओं की संख्या अधिक है।

महाकुंभ के दौरान विशेष आयोजन भी किए गए, जैसे संगम पर हेलिकॉप्टर से फूलों की बारिश और विशेष धार्मिक अनुष्ठान। इस आयोजन में बेशुमार श्रद्धालु और विदेशी पर्यटक आकर्षित हुए, जिन्होंने इस धार्मिक महापर्व को अपूर्व अनुभव के रूप में महसूस किया।

अमृत स्नान के बाद के अनुभव
अमृत स्नान के बाद कई श्रद्धालुओं ने अपनी संतुष्टि और खुशी जाहिर की। लोक गायिका मालिनी अवस्थी ने कहा कि संगम में स्नान कर जीवन सफल हो गया। वहीं, कुछ श्रद्धालु परिवार के साथ कुंभ के बाद के अनुभव साझा करने के लिए एक साथ समय बिताते हुए इस पुण्य अवसर की सुंदरता को महसूस कर रहे थे।

आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण
महाकुंभ मेले का आयोजन सिर्फ एक धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज की आध्यात्मिक एकता, सद्भाव और पारंपरिक धर्म का उत्सव है। इस मेले में लाखों लोग एक साथ एक ही उद्देश्य के लिए एकत्र होते हैं, जो देश और दुनिया में एकता और सांस्कृतिक विविधता का संदेश फैलाता है।

इस प्रकार महाकुंभ मेला न केवल भारत में, बल्कि दुनियाभर में एक श्रद्धा, शक्ति और एकता का प्रतीक बन चुका है, जो हर बार लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।