नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से यहां आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। 18 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक मात्र 11 दिनों में आतंकियों ने चार हमले किए हैं। ताजा हमला 28 अक्टूबर की सुबह अखनूर सेक्टर में हुआ, जहाँ पाकिस्तान सीमा के नजदीक सेना की एक एंबुलेंस को निशाना बनाया गया। इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन जवाबी कार्रवाई में एक आतंकी मारा गया, जिससे गोला-बारूद बरामद हुआ।
जवाबी कार्रवाई में एक आतंकी मारा गया
मारे गए आतंकी की पहचान की जा रही है, जबकि हमले में शामिल अन्य आतंकियों की संख्या कम से कम तीन बताई जा रही है। स्थानीय लोगों ने उन्हें भारी हथियारों के साथ देखा था। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि आतंकियों ने सोमवार सुबह सेना की एक एंबुलेंस पर हमला किया था। इसमें एक आतंकी मारा गया जबकि बाकी फरार हो गए, जिनकी तलाश जारी है।
लगातार आतंकी हमलों पर क्या बोले अधिकारी
अधिकारी का कहना है कि आतंकी हमेशा घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों में हमले करते हैं, ताकि हमला करके आसानी से छिप सकें। इस बात की भी आशंका है कि आतंकियों को स्थानीय सपोर्ट मिल रहा है, हालांकि हाल में स्थानीय लोगों के साथ हुई बैठकों में उन्होंने किसी भी प्रकार का सपोर्ट देने से इनकार किया था। फिर भी, माना जा रहा है कि कुछ लोग चोरी-छिपे आतंकियों को सहायता प्रदान कर रहे हैं।
अखनूर में आतंकियों ने कैसे किया हमला
सूत्रों के अनुसार, सोमवार सुबह आतंकवादी एक मंदिर में घुसे और किसी का मोबाइल तलाशने लगे। उसी दौरान उन्होंने सेना की एंबुलेंस को देखा और उस पर गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। आशंका है कि ये आतंकी हाल ही में सीमा पार कर जम्मू क्षेत्र में दाखिल हुए हैं।
11 दिन में 4 आतंकी हमले
पिछले हमलों में 18 अक्टूबर को शोपियां में एक प्रवासी मजदूर की हत्या, 20 अक्टूबर को गांदरबल में सुरंग निर्माण में लगे मजदूरों पर हमला, 24 अक्टूबर को पुलवामा में उत्तर प्रदेश के मजदूर पर हमला और बारामुला जिले में सेना के काफिले पर हमला शामिल हैं। इन हमलों में कई लोगों की जान गई और कई घायल हुए।
आतंकी नेटवर्क के सामने क्या हमारी इंटेलिजेंस फेल हो रही है?
चुनावों से पहले और अब बाद में हो रहे लगातार हमलों से यह सवाल उठता है कि क्या भारतीय इंटेलिजेंस आतंकियों के नेटवर्क को पकड़ने में असमर्थ हो रही है? सोमवार के हमले में एक आतंकी मारा गया, लेकिन दो साथी भागने में सफल रहे। इन घटनाओं से निपटने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर पुलिस, सेना और अन्य एजेंसियों को मिलकर एक मजबूत रणनीति बनानी होगी। तभी आतंकवाद पर नियंत्रण पाया जा सकेगा।