गुजरात एटीएस ने एक बड़ी कार्रवाई में 800 करोड़ रुपये की मेफेड्रोन ड्रग्स जब्त की और इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है। एटीएस ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले में स्थित एक मेफेड्रोन विनिर्माण इकाई पर छापा मारकर यह सफलता हासिल की।
ड्रग्स विनिर्माण इकाई पर छापा
गुजरात आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के पुलिस उप महानिरीक्षक सुनील जोशी ने बताया कि 5 और 6 अगस्त को एटीएस की टीम ने महाराष्ट्र के भिवंडी में एक अपार्टमेंट पर छापा मारा। इस कार्रवाई में मोहम्मद यूनुस शेख (41) और उनके भाई मोहम्मद आदिल शेख (34) को लगभग 800 किलोग्राम मेफेड्रोन (एमडी ड्रग) के साथ पकड़ा गया।
ड्रग्स की कीमत और विनिर्माण प्रक्रिया
इस ड्रग्स की अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत 800 करोड़ रुपये बताई गई है। जोशी के अनुसार, दोनों भाइयों ने लगभग आठ महीने पहले फ्लैट किराए पर लेकर विभिन्न रसायनों का उपयोग करके मेफेड्रोन का उत्पादन शुरू किया था। उनका पिछला बैच विफल हो गया था, लेकिन यह बैच लगभग तैयार था और इसे पाउडर के रूप में बनाने की प्रक्रिया चल रही थी।
अन्य कार्रवाइयां
इससे पहले, 18 जुलाई को एटीएस ने सूरत के पलसाना इलाके में एक मेफेड्रोन विनिर्माण इकाई का भंडाफोड़ किया था, जिसमें 51.4 करोड़ रुपये की दवाएं और कच्चा माल जब्त किया गया था। उस समय तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिन्होंने बाद में खुलासा किया कि महाराष्ट्र के शेख भाई भी इस ड्रग कार्टेल का हिस्सा थे।
भरूच जिले में छापा
एक अन्य ऑपरेशन में एटीएस ने भरूच जिले के दहेज औद्योगिक क्षेत्र में एक फार्मास्युटिकल इकाई पर छापा मारकर 31 करोड़ रुपये की तरल ट्रामाडोल जब्त की। इस दौरान पंकज राजपूत और निखिल कपूरिया नामक दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया।
मुंद्रा बंदरगाह पर जब्ती
29 जुलाई को सीमा शुल्क विभाग ने कच्छ के मुंद्रा बंदरगाह पर पश्चिमी अफ्रीकी देशों सिएरा लियोन और नाइजर के लिए भेजे गए दो निर्यात कंटेनरों से 110 करोड़ रुपये मूल्य की 68 लाख ट्रामाडोल गोलियां जब्त की थीं। गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि जब्त की गई गोलियां उन्होंने तैयार की थीं और निर्यात के लिए मुंद्रा भेजी थीं।
ट्रामाडोल की ख्याति
ट्रामाडोल हाल के दिनों में ‘फाइटर ड्रग’ के रूप में कुख्यात हो गई है, क्योंकि यह खबर आई थी कि आईएसआईएस के लड़ाके लंबे समय तक जागते रहने के लिए इसका सेवन करते हैं।
यह छापेमारी और गिरफ्तारियां ड्रग्स के अवैध व्यापार और उत्पादन पर लगाम लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।