हरतालिका तीज का पर्व विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए समर्पित है। यह पर्व विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिए और अविवाहित कन्याओं द्वारा योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। इस शुभ अवसर पर वास्तु शास्त्र का ध्यान रखते हुए कुछ विशेष बातों का पालन करना न केवल पूजा की सफलता को सुनिश्चित करता है, बल्कि घर में सुख-समृद्धि और शांति भी लाता है। आइए जानें कि हरतालिका तीज पर वास्तु के अनुसार क्या करें और क्या न करें।
वास्तु शास्त्र के अनुसार क्या करें
घर की सफाई:
- हरतालिका तीज के दिन घर की अच्छी तरह सफाई करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। साफ-सुथरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता दूर होती है।
- सफाई के बाद घर के हर कोने को धूप और दीप से शुद्ध करें। यह वातावरण को शुद्ध करने में मदद करता है और ऊर्जा को सकारात्मक बनाता है।
पूजा स्थान की दिशा:
- वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में करनी चाहिए। यह दिशा भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए सबसे शुभ मानी जाती है। पूजा स्थल को इस दिशा में सजाने से विशेष लाभ होता है।
पीले और हरे रंग का उपयोग:
- हरे और पीले रंग का विशेष महत्व होता है। हरा रंग समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है, जबकि पीला रंग ज्ञान और शांति का प्रतीक है। पूजा में हरे रंग के वस्त्र पहनना और पीले फूलों का उपयोग करना शुभ फलदायक होता है।
- रंगों का सही उपयोग मानसिक शांति और सुख-समृद्धि को आकर्षित करने में मदद करता है।
मुख्य द्वार पर रंगोली:
- मुख्य द्वार पर रंगोली बनाना और उसे फूलों से सजाना शुभ माना जाता है। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश सुनिश्चित करता है और आगंतुकों के लिए भी स्वागत का प्रतीक है।
- रंगोली में खासकर पीले और हरे रंग का प्रयोग करें, जो शुभता और समृद्धि को दर्शाते हैं।
धातु की मूर्तियों का प्रयोग:
- भगवान शिव और पार्वती की पूजा के लिए धातु की मूर्तियों का उपयोग करें। कांसे, पीतल, या चांदी की मूर्तियों का प्रयोग वास्तु दोष को दूर करता है और घर में शांति और समृद्धि लाता है।
- धातु की मूर्तियां स्थिरता और मजबूती का प्रतीक होती हैं, जो पूजा के प्रभाव को बढ़ाती हैं।
खिड़कियां और दरवाजे खुला रखें:
- पूजा के दौरान घर की खिड़कियां और दरवाजे खुले रखें ताकि ताजा हवा और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता रहे। यह घर में एक ताजगी और ऊर्जा का संचार करता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार क्या न करें
दक्षिण दिशा में पूजा:
- दक्षिण दिशा को वास्तु शास्त्र में अशुभ माना गया है। पूजा स्थल को दक्षिण दिशा में न रखें, क्योंकि इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- यदि पूजा स्थल बदलना संभव न हो, तो पूजा के दौरान ईशान कोण की तरफ मुख करके बैठें।
टूटी-फूटी मूर्तियां:
- टूटी-फूटी या खंडित मूर्तियों का उपयोग न करें। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ सकता है।
- पुरानी या टूटी मूर्तियों को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें और नई मूर्तियों का उपयोग करें।
अंधेरे या गंदे कोनों में पूजा:
- पूजा स्थल को हमेशा साफ और उजाला रखें। अंधेरे या गंदे स्थानों में पूजा करने से वास्तु दोष उत्पन्न हो सकता है और पूजा का प्रभाव कम हो सकता है।
- पूजा स्थल में पर्याप्त रोशनी होनी चाहिए और वहां कोई गंदगी नहीं होनी चाहिए।
बंद खिड़कियां और दरवाजे:
- बंद खिड़कियां और दरवाजे सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह को रोकते हैं। पूजा के समय इन्हें खुला रखें ताकि घर में ताजगी और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
प्रवेश द्वार पर टूटी वस्तुएं:
- मुख्य प्रवेश द्वार पर टूटे हुए जूते-चप्पल या अन्य टूटी वस्तुएं न रखें। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है।
- हरतालिका तीज के दिन विशेष ध्यान दें कि घर के प्रवेश द्वार पर साफ-सफाई हो और वहां कोई अव्यवस्था न हो।
हरतालिका तीज के इस पावन पर्व पर वास्तु शास्त्र के अनुसार इन टिप्स का पालन करके आप अपने घर में सुख-शांति और समृद्धि सुनिश्चित कर सकते हैं। इस दिन की पूजा विधियों को सही तरीके से अपनाएं और सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करें।