ढाका: बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने हिंदू अल्पसंख्यकों को दुर्गा पूजा न मनाने की खुलेआम धमकी दी है। उन्होंने यह भी कहा है कि हिंदू समुदाय को मूर्ति विसर्जन में शामिल नहीं होना चाहिए। दुर्गा पूजा, जो 9 अक्टूबर से शुरू हो रहा है, बांग्लादेश के हिंदुओं के लिए सबसे बड़ा त्योहार है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, कट्टरपंथी समूहों ने दुर्गा पूजा पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है, जिससे हिंदू समुदाय में डर का माहौल बन गया है।
कट्टरपंथियों का विरोध
कट्टरपंथी इस्लामी समूह “इंसाफ कीमकरी छात्र-जनता” ने हाल ही में एक प्रदर्शन किया, जिसमें ढाका के एक क्षेत्र में दुर्गा पूजा के लिए खेल के मैदान के इस्तेमाल का विरोध किया गया। हिंदू समुदाय वर्षों से इस मैदान का उपयोग दुर्गा पूजा के लिए करता रहा है। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था, “सड़क बंद करके दुर्गा पूजा न करो।” उन्होंने यह भी विरोध किया कि 8 प्रतिशत की आबादी वाले हिंदुओं के त्योहार को राष्ट्रीय अवकाश क्यों दिया गया है।
भारत विरोधी बैनर की मांग
इस्लामिक कट्टरपंथी हिंदू नागरिकों से बांग्लादेश के प्रति अपनी वफादारी साबित करने के लिए कह रहे हैं और सभी मंदिरों पर भारत विरोधी बैनर लगाने की मांग कर रहे हैं। कई इलाकों से मंदिरों और मूर्तियों को तोड़ने की खबरें आई हैं, जिससे हिंदू समुदाय की चिंता बढ़ गई है। 22 सितंबर को, लक्ष्मीगंज जिले के रायपुर क्षेत्र में मदरसे के छात्रों ने देवी दुर्गा की मूर्तियों को तोड़ दिया।
हिंदुओं का डर
चटगांव में सनातन विद्यार्थी संसद के अध्यक्ष कुशल चक्रवर्ती ने इंडिया टुडे से कहा कि हिंदू डर के साए में दुर्गा पूजा की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमारे मन में डर है। हम सुरक्षा के लिए सरकार से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं। फरीदपुर, खुलना और कई अन्य जगहों पर मूर्तियों को तोड़ा गया है। हम दुर्गा पूजा की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन डर बना हुआ है।”
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने हिंदुओं की सुरक्षा का आश्वासन दिया है, लेकिन कट्टरपंथियों को रोकने में अंतरिम सरकार नाकाम साबित हुई है।