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इजरायल के हमलों का विस्तार: फिलिस्तीन और अन्य मुस्लिम देशों पर बर्बरता

Published on August 2, 2024 by Vivek Kumar

[caption id="attachment_8512" align="alignnone" width="1400"]Israel's attacks expand brutality against Palestine and other Muslim countries Israel's attacks expand brutality against Palestine and other Muslim countries[/caption] 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर किए गए बड़े पैमाने के हमले के बाद, इजरायल ने अपने क्षेत्रीय हमलों में वृद्धि की है। इस हमले में इजरायल में लगभग 1,200 लोग मारे गए और 240 का अपहरण कर लिया गया। इसके बाद इजरायल ने जवाबी कार्रवाई शुरू की और फिलिस्तीन, लेबनान, सीरिया, ईरान, और यमन सहित कई मुस्लिम देशों पर हमले किए हैं।

हमलों की संख्या और प्रभाव

  1. फिलिस्तीन: गाजा पट्टी पर इजरायल ने सबसे अधिक हमले किए हैं, जिनकी संख्या 10,389 है। इस क्षेत्र में हुए हमलों में 39,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई और 90,000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। गाजा में इजरायली नाकाबंदी और जमीनी घुसपैठ ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है।
  2. लेबनान: 8 अक्टूबर से हिजबुल्लाह द्वारा इजरायल पर हमले शुरू होने के बाद, इजरायल ने लेबनान पर भी हमला तेज कर दिया। अब तक लेबनान में 6,544 हमले किए जा चुके हैं, जिनमें 590 से अधिक लोग मारे गए हैं। हाल ही में हुए हमलों में नागरिकों की जान चली गई है और कई लोग घायल हुए हैं।
  3. सीरिया: इजरायल ने 7 अक्टूबर से अब तक सीरिया में 144 से अधिक हमले किए हैं, जिनमें 260 से अधिक लोगों की मौत हुई है। विशेष रूप से दमिश्क के आसपास इजरायली हमलों की संख्या बढ़ गई है, जिसमें ईरानी वाणिज्य दूतावास पर भी हमला शामिल है।
  4. ईरान: इजरायल ने ईरान के खिलाफ भी हमले किए हैं, जिनमें ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को निशाना बनाया गया है। अप्रैल में, इजरायल ने ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के सदस्यों की हत्या की, जिससे ईरान के साथ तनाव बढ़ गया।
  5. यमन: इजरायली सेना ने यमन के होदेइदाह पर हमले किए, जिसमें छह लोग मारे गए। यह हमला हूती समूह द्वारा किए गए ड्रोन हमले के जवाब में था।
7 अक्टूबर के बाद इजरायल ने 17,000 से अधिक हमले किए हैं, जिनमें फिलिस्तीन, लेबनान, सीरिया, ईरान और यमन शामिल हैं। इन हमलों में लगभग 41,000 लोग मारे गए हैं और कई लोग घायल हुए हैं। इजरायल की ये कार्रवाइयाँ क्षेत्रीय अस्थिरता और मानवाधिकार उल्लंघनों को बढ़ावा दे रही हैं, और इसके परिणामस्वरूप व्यापक युद्ध की आशंका बढ़ गई है।

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