हरियाणा और दिल्ली में कांग्रेस व AAP के, गठबंधन के पक्ष में नहीं स्थानीय नेता

लोकसभा चुनाव में हरियाणा और दिल्ली में मिलकर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) ने इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव में अलग-अलग राह पकड़ ली है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव जयराम रमेश ने चार जुलाई को कहा कि हरियाणा और दिल्ली में विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस और आप के बीच गठबंधन की ज्यादा गुंजाइश नहीं दिखती है। कांग्रेस एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक कांग्रेस और आप के गठबंधन नहीं होने की तीन प्रमुख वजह हैं। कांग्रेस नेता ने बताया कि पहला तो यह कि कांग्रेस का स्थानीय नेतृत्व नहीं चाहता है पार्टी दिल्ली और हरियाणा में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करे। स्थानीय नेतृत्व लोकसभा चुनाव के दौरान भी इस गठबंधन के खिलाफ था। यही वजह है कि इन दोनों राज्यों के स्थानीय नेताओं ने पहले खुलकर इस गठबंधन का विरोध किया। दिल्ली में तो प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली सहित कई नेताओं ने इस्तीफा ही दे दिया था। वहीं, हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने भी गठबंधन के खिलाफ बयान दिए थे। कांग्रेस नेता का कहना था कि हरियाणा में तो लोकसभा चुनाव के दौरान भी पार्टी नहीं चाहती थी कि आप के साथ गठबंधन हो लेकिन इंडिया गठबंधन में साथी होने के नाते आप ने हरियाणा में एक सीट की मांग की तो वह मान ली गई। कांग्रेस नेता ने कहा कि दूसरी वजह यह है कि हरियाणा में आप का कोई जनाधार नहीं है या है भी तो वह बहुत कम है। उन्होंने बताया कि जब कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट आम आदमी पार्टी ने मांगी तो उनसे कहा गया कि आप अपना उम्मीदवार कांग्रेस के चुनाव निशान ‘हाथ’ पर उतारे तो फायदा होगा लेकिन आम आदमी पार्टी नहीं मानी। अगर सुशील गुप्ता को कांग्रेस के चुनाव निशान पर लड़वाया गया होता तो स्थिति बिलकुल अलग होती। इसका कारण हरियाणा में आप का जनाधार नहीं होना था। इसलिए कांग्रेस ने अब तय किया है कि आप के साथ जाने से कांग्रेस को कोई फायदा नहीं होगा। उन्होंने बताया कि दिल्ली में आप और कांग्रेस पार्टी को जनाधार करीब-करीब एक ही है। यानी जो लोग पहले कांग्रेस के लिए मतदान किया करते थे, अब वे आप को वोट देते हैं।

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