देश में
लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने का रास्ता अब साफ हो गया है। मोदी कैबिनेट ने
'One Nation, One Election' बिल को मंजूरी दे दी है। इस बिल को अगले सप्ताह संसद में पेश किया जा सकता है।
मुख्य बिंदु
- कैबिनेट की मंजूरी: राम नाथ कोविंद समिति द्वारा तैयार रिपोर्ट को मंजूरी मिलने के बाद बिल संसद में पेश किया जाएगा।
- आम सहमति का प्रयास: सरकार बिल पर राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति बनाने की कोशिश कर रही है।
- जेपीसी को भेजने की संभावना: इस बिल पर विस्तृत चर्चा के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा जा सकता है।
बिल का उद्देश्य
एक देश, एक चुनाव का लक्ष्य है कि देश में
100 दिनों के भीतर लोकसभा, विधानसभा, शहरी निकाय और पंचायत चुनावों को एक साथ आयोजित किया जाए।
एक राष्ट्र, एक चुनाव के लाभ
- धन और समय की बचत: बार-बार चुनाव कराने में होने वाले खर्च से बचा जा सकेगा।
- प्रशासनिक कुशलता: एक साथ चुनाव होने से प्रशासनिक प्रक्रिया सुचारू होगी।
- सुरक्षा बलों पर कम बोझ: सुरक्षा बलों को बार-बार तैनाती से बचाया जा सकेगा।
- विकास कार्यों में तेजी: चुनाव प्रक्रिया खत्म होने के बाद विकास कार्य बिना रुकावट के जारी रहेंगे।
- सरकारी कामकाज में स्थिरता: चुनावी ड्यूटी के कारण सरकारी कामों में आने वाली रुकावट कम होगी।
राम नाथ कोविंद की टिप्पणी
पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने
'एक देश, एक चुनाव' पहल को देशहित में बताया। उन्होंने कहा:
- यह राजनीतिक हितों से परे एक राष्ट्रीय मुद्दा है।
- इसके लागू होने से देश की GDP में 1-1.5% तक वृद्धि हो सकती है।
- सभी दलों को इस पर आम सहमति बनानी चाहिए।
प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल की प्रशंसा करते हुए इसे
भारतीय लोकतंत्र को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
आगे की राह
इस बिल को संसद में पेश करने के बाद व्यापक चर्चा की उम्मीद है। अगर इसे लागू किया जाता है, तो यह देश की
चुनावी प्रक्रिया में ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है।