वन नेशन वन इलेक्शन बिल लोकसभा में पेश, विपक्ष के विरोध पर सरकार ने क्या कहा?

17 दिसंबर 2024 को, लोकसभा में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से संबंधित संविधान (129वां संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि यह विधेयक अब संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा जाएगा, ताकि इस पर विस्तृत विचार-विमर्श हो सके। इस बिल का उद्देश्य भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराना है।

विपक्षी दलों ने इस विधेयक का विरोध करते हुए इसे संविधान के मूलभूत ढांचे पर हमला बताया। कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि इस विधेयक से चुनाव आयोग को संविधान से बाहर की शक्तियां दी जाएंगी, जिससे संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग की शक्तियों में अनावश्यक विस्तार होगा।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और समाजवादी पार्टी के सांसद धर्मेंद्र यादव ने भी इस विधेयक का विरोध किया, उनका कहना था कि यह बिल देश के संघीय ढांचे और राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर करेगा।

वहीं, सरकार ने इस विधेयक को संविधान के मौलिक ढांचे पर कोई आघात न करने और राज्यों के अधिकारों को कम न करने का दावा किया। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि इस संशोधन से राज्यों की शक्तियों में कोई कमी नहीं आएगी। गृह मंत्री अमित शाह ने यह भी बताया कि यह विधेयक कैबिनेट से मंजूरी प्राप्त करने के बाद जेपीसी को भेजा जाएगा, और उसके बाद फिर से इस पर चर्चा होगी।

सरकार का कहना था कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ देश की प्रगति के लिए आवश्यक है, और यह विधेयक भारत के चुनाव प्रणाली को सुधारने की दिशा में एक बड़ा कदम है।