जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल में मिली हार के गम को भुलाकर भारतीय हॉकी टीम पेरिस ओलंपिक में गुरुवार को स्पेन के खिलाफ तीसरे स्थान के प्लेऑफ मुकाबले में उतरेगी। इस मैच का लक्ष्य अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश और देश के लिए कांस्य पदक के साथ लौटने का होगा।
1980 मास्को ओलंपिक में, भारत ने स्पेन को 4-3 से हराकर अपना आठवां और आखिरी स्वर्ण पदक जीता था। इस बार, पूरे टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करने वाली भारतीय टीम का 44 साल बाद फिर से ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने का सपना सेमीफाइनल में जर्मनी से 2-3 की हार के साथ टूट गया। अब हरमनप्रीत सिंह की अगुवाई वाली टीम को स्पेन के खिलाफ कांस्य पदक के लिए खेलना है, और उनका उद्देश्य टोक्यो ओलंपिक में जीते कांसे को बरकरार रखना है।
जर्मनी के खिलाफ सेमीफाइनल में भारतीय टीम ने अपने सबसे अनुभवी फर्स्ट रशर अमित रोहिदास की कमी बुरी तरह महसूस की, जो ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में लाल कार्ड मिलने के कारण एक मैच का प्रतिबंध झेल रहे थे। इसके बावजूद, भारत ने पहले क्वार्टर में बढ़त बनाई और फिर पिछड़ने के बाद वापसी भी की।
हरमनप्रीत सिंह, जिन्होंने टूर्नामेंट में अब तक आठ गोल किए हैं, का प्रदर्शन सराहनीय रहा, लेकिन सेमीफाइनल में भारतीय टीम केवल 11 में से दो पेनल्टी कार्नर ही भुना सकी। कोच क्रेग फुल्टोन को अंतिम मैच से पहले इस पर काम करना होगा क्योंकि आधुनिक हॉकी में हर टीम विरोधी के पेनल्टी कार्नर पर अच्छी तैयारी करके उतरती है।
अनुभवी गोलकीपर पीआर श्रीजेश, जो अपना आखिरी टूर्नामेंट खेल रहे हैं, पूरे टूर्नामेंट में चट्टान की तरह भारतीय गोल की रक्षा करते रहे। पदक का रंग बदलने का सपना टूटने के बावजूद उन्होंने कहा कि अब उनके पास आखिरी मौका है और पदक अभी भी जीता जा सकता है।
हाकी: मैच शाम साढ़े पांच बजे से
भारतीय हॉकी टीम का ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने का सपना 44 साल बाद जर्मनी के खिलाफ 2-3 की हार के साथ टूट गया। रोहिदास की वापसी से भारतीय रक्षात्मक खेल मजबूत होगा। ओलंपिक में पदार्पण करने वाले खिलाड़ी जैसे अभिषेक, संजय, जरमनप्रीत सिंह, और राजकुमार ने प्रभावी प्रदर्शन किया है और वे पदक के साथ लौटना चाहेंगे।
भारतीय हॉकी टीम का स्पेन के खिलाफ आखिरी मुकाबला कांस्य पदक के लिए होगा, जिसमें टीम अपनी पूरी कोशिश करेगी कि वे देश के लिए एक और गौरवपूर्ण क्षण लेकर लौटें।
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