प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नालंदा यूनिवर्सिटी के 1600 साल पुराने खंडहरों का दौरा किया और इसके नए कैंपस का उद्घाटन किया। यह ऐतिहासिक अवसर नालंदा यूनिवर्सिटी के गौरवशाली अतीत और इसके उज्जवल भविष्य को एक साथ जोड़ता है।
प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय, जिसकी स्थापना 427 ईस्वी में गुप्त वंश के शासक कुमार गुप्त (प्रथम) ने की थी, अपने समय का सबसे बड़ा शिक्षा केंद्र था। विश्वभर से छात्र यहां शिक्षा ग्रहण करने आते थे। यह विश्वविद्यालय लगभग 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा, जब तक कि 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी के आक्रमण ने इसे नष्ट नहीं कर दिया। खिलजी ने विश्वविद्यालय की 3 मंजिला लाइब्रेरी को जला दिया, जिसमें करीब 90 लाख किताबें और पांडुलिपियां थीं।
नए विश्वविद्यालय परिसर को राजगीर में वैभारगिरि की तलहटी में 455 एकड़ क्षेत्र में बनाया गया है। यह विश्व का सबसे बड़ा नेट जीरो कार्बन कैंपस है और इसका निर्माण ‘पंचामृत’ सूत्र के आधार पर किया गया है। तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने 19 सितंबर 2014 को इसके नवनिर्माण की नींव रखी थी।
नए परिसर की स्थापना नालंदा विश्वविद्यालय अधिनियम, 2010 के तहत की गई है। इस अधिनियम में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 2007 में फिलीपीन में आयोजित दूसरे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में लिए गए फैसले को लागू करने का प्रावधान किया गया है।
नालंदा विश्वविद्यालय के निर्माण कार्य में 17 अन्य देशों की भी भागीदारी है, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने दौरे के दौरान नालंदा यूनिवर्सिटी के ऐतिहासिक महत्व और इसकी पुनर्स्थापना के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय भारत के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है और इसका नया कैंपस भविष्य की पीढ़ियों को प्राचीन भारत की महानता की याद दिलाएगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाई जाने वाले विषयों को आधुनिक समय के अनुरूप अपडेट किया जाएगा। इसके साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए 137 छात्रवृत्तियों का प्रावधान भी किया जाएगा, जिससे विभिन्न देशों के छात्र यहां शिक्षा प्राप्त कर सकें।
इस अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के नए भवन का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह एक नया इतिहास रचने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के विकास में योगदान देने वाले सभी देशों और व्यक्तियों का धन्यवाद किया और कहा कि यह संयुक्त प्रयास नालंदा को एक बार फिर से शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाएगा।