संविधान हत्या दिवस पर बढी सियासत, सोशल मीडिया गर्म

सरकार की ओर से 1975 में 25 जून को लगाए गए आपातकाल के उस दिन को संविधान हत्या दिवस घोषित करने के बाद सियासत बढ़ रही है। राज्यों के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर और बढ़ेगी। बीजेपी और एनडीए के नेता देश भर में कांग्रेस और बाकी विपक्ष पर हमलावर हो रहे हैं। जवाब में कांग्रेस नेताओं से लेकर ममता बनर्जी तक मोदी काल को आपातकाल बता रहे हैं। बयानबाजी के साथ सोशल मीडिया पर भी तनातनी जारी है।

राहुल के हाथ में संविधान लोकसभा चुनाव प्रचार में राहुल गांधी संविधान की प्रति लिए नजर आते थे। पीएम मोदी और बीजेपी पर निशाने साधे जा रहे थे कि वह दोबारा सत्ता में आने पर संविधान बदल देंगे। इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लगाए गए आपातकाल के 50वें वर्ष में अब बीजेपी को यह पलट हथियार दिखाई दे रहा है। समर्थन में पीएम मोदी, शाह, नड्डा, रविशंकर प्रसाद, जीतन राम मांझी से लेकर नीचे तक के नेता कांग्रेस पर वार करने में जुट गए है। सरकार के फैसले का स्वागत किया जा रहा है। आपातकाल के दौरान जेल गए लोगों के एक संगठन ‘लोकतंत्र सेनानी मंच’ के राजन ढींगरा ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है।

बात पुरानी, लेकिनः आपातकाल की वह घटना 49 साल पुरानी हो चुकी है। लेकिन 21 महीने के उस दौर में करीब एक लाख 40 हजार लोगों को जेल भेजे जाने, करोड़ों लोगों की जबरन नसबंदी किए जाने जैसे कई मामलों को विस्तार से अब आम लोगों को बताने की कोशिश है। जवाब में मल्लिकार्जुन खरगे कह रहे हैं कि ‘आप तो दस साल से संविधान की हत्या ही कर रहे हैं। ममता बनर्जी ने सुबह कहा है कि मोदी का यह काल ही आपातकाल है। हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव और आगे के चुनावों में भी पक्ष और विपक्ष की तनातनी इस पर जारी रह सकती है। बीजेपी इसे बढ़ाए रखने की तैयारी में है। लेकिन 49 साल पुराने इस मामले से बीजेपी और एनडीए को हासिल क्या होगा, यह समय बताएगा।

 

Leave a Comment