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हर 'स्टोरी-माई स्टोरी' में साइना नेहवाल ने कहा: मुझे कड़ी मेहनत करना पसंद है, मैं टेनिस में बैडमिंटन से बेहतर कर सकती थी

Published on July 12, 2024 by Vivek Kumar

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल को लगता है कि अगर उन्होंने बैडमिंटन खेलने के बजाय टेनिस का रैकेट पकड़ा होता तो वह बतौर खिलाड़ी और बेहतरीन प्रदर्शन कर सकती थीं। बैडमिंटन खिलाड़ी के तौर पर भी साइना ने काफी प्रभावित किया है जिसमें वह दुनिया में शीर्ष रैंकिंग हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला शटलर बनीं और वह ओलंपिक पदक जीतने वाली देश की पहली महिला एथलीट भी बनीं। राष्ट्रपति भवन में 'हर स्टोरी-माई स्टोरी' बातचीत के दौरान साइना ने कहा कि कभी कभार मुझे लगता है कि अगर मेरे माता पिता ने मुझे टेनिस में डाला होता तो अच्छा होता। उन्होंने कहा कि इसमें ज्यादा पैसा है और मुझे लगता है कि मैं ज्यादा ताकतवर थी।
मैं टेनिस में बैडमिंटन से बेहतर कर सकती थी। साइना ने कईयों को बैडमिंटन में आने के लिए प्रेरित किया है लेकिन जब उन्होंने आठ साल की उम्र में खेलना शुरू किया था तो उनके लिए कोई आदर्श नहीं था। साइना ने कहा कि जब मैंने शुरुआत की थी तो मेरे लिए कोई आदर्श नहीं था।
यह कहने के लिए कोई नहीं था, 'मैं दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी बनना चाहती हूं या ओलंपिक पदक विजेता बनना चाहती हूं'। मुझसे पहले मैंने को बैडमिंटन में किसी में ऐसा करते नहीं देखा था। लंदन ओलंपिक के कांस्य के अलावा साइना ने विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य और रजत पदक जीते तथा राष्ट्रमंडल खेलों में भी कई स्वर्ण पदक जीते। उन्होंने कहा कि मैं हमेशा बच्चों को खेलों पर ध्यान लगाने के लिए कहती हूं। चीन 60-70 पदक जीतता है और हमें सिर्फ तीन चार पदक मिलते हैं। इतने सारे डाक्टर और इंजीनियर होते हैं और उनके नाम अखबारों में नहीं आते। साइना ने कहा कि मैं विशेषकर लड़कियों से आगे आने के लिए कहूंगी कि वे फिट होना शुरू करें और खेलों में आएं।

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