आदरणीय प्रिंसिपल सर/मैडम, सम्माननीय अतिथिगण, मेरे प्रिय शिक्षकगण और मेरे प्यारे साथियों,
सभी को मेरा नमस्कार। आज हम सब यहाँ एक ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण अवसर पर देश का 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। 15 अगस्त 1947, एक ऐसा दिन था जिसने हमारे देश के इतिहास को नया मोड़ दिया और हमारे दिलों में स्वतंत्रता की एक नई उमंग और विश्वास भर दिया। इस दिन को हम हर साल बड़े उत्साह और गर्व के साथ मनाते हैं, क्योंकि यह दिन हमें हमारी स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का अहसास कराता है।
स्वतंत्रता संग्राम: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
स्वतंत्रता दिवस की इस खास मौके पर, हमें यह याद रखना चाहिए कि हमारी आज़ादी की यह यात्रा आसान नहीं रही। यह एक लंबी और कठिन लड़ाई थी, जिसमें कई लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाई। जब हम 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से आजादी की बात करते हैं, तो हमें यह समझना चाहिए कि यह स्वतंत्रता केवल एक राजनीतिक घटना नहीं थी, बल्कि यह हमारे देशवासियों की स्वाधीनता के लिए की गई कड़ी मेहनत और बलिदान का परिणाम थी।
ब्रिटिश राज के दौरान, हमारे देश की जनता पर कई अत्याचार हुए। सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ, नस्लीय भेदभाव, और नागरिक अधिकारों की कमी ने हमारे जीवन को दुष्कर बना दिया था। लेकिन इसके बावजूद, स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने इस अत्याचार और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया। इस संघर्ष ने न केवल हमारे देश को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि एक नई आशा और आत्मविश्वास भी पैदा किया।
स्वतंत्रता संग्राम के नायक
हमारी स्वतंत्रता की लड़ाई में अनेक महान नेताओं और क्रांतिकारियों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। महात्मा गांधी, जिनकी अहिंसा और सत्याग्रह की विधियाँ आज भी हमें प्रेरित करती हैं, ने इस आंदोलन को एक नई दिशा दी। गांधी जी का संपूर्ण जीवन भारतीय समाज की समस्याओं के समाधान के लिए समर्पित था। उन्होंने देशवासियों को स्वदेशी वस्त्र पहनने, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने, और सामाजिक सुधारों की दिशा में कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।
भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों ने भी अपने बलिदान से इतिहास में अमिट छाप छोड़ी। भगत सिंह की शहादत और उनके विचार आज भी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका साहस और समर्पण हमें यह सिखाता है कि हमें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए किस हद तक जा सकते हैं।
सुभाष चंद्र बोस, जिनकी प्रेरणादायक अपील ने हजारों लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल किया, ने अपने जीवन को देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। उनका प्रसिद्ध नारा “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा” आज भी हमारे दिलों में गूंजता है।
स्वतंत्रता संग्राम की इस यात्रा में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ और आंदोलनों ने अहम भूमिका निभाई। 1857 का सिपाही विद्रोह, जिसे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की पहली कोशिश के रूप में जाना जाता है, ने ब्रिटिश शासन को हिला कर रख दिया था। इस विद्रोह ने भारतीय जनता को एक नई चेतना दी और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक प्रारंभिक विरोध का संचार किया।
इसके बाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन हुआ और महात्मा गांधी की अगुवाई में स्वतंत्रता संग्राम ने एक नई गति पकड़ी। गांधी जी के नेतृत्व में दांडी मार्च, असहयोग आंदोलन, और सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं। इन आंदोलनों ने अंग्रेजों को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने पर मजबूर किया और स्वतंत्रता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया।
स्वतंत्रता के बाद की भारत की यात्रा
15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिलने के बाद, हमारे देश ने एक नई दिशा में कदम बढ़ाया। स्वतंत्रता के इस महत्वपूर्ण क्षण के बाद, देश को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन हमारे नेताओं और नागरिकों ने इन चुनौतियों का साहसिकता और संकल्प के साथ सामना किया।
हमारे पहले प्रधानमंत्री, पंडित नेहरू ने भारतीय संविधान की आधारशिला रखी और एक लोकतांत्रिक गणराज्य की दिशा में कदम बढ़ाया। उनके नेतृत्व में, देश ने कई सामाजिक और आर्थिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। भूमि सुधार, औद्योगिकीकरण, और शिक्षा के क्षेत्र में सुधार जैसे कदमों ने हमारे देश को विकास की ओर अग्रसर किया।
स्वतंत्रता दिवस के महत्वपूर्ण कार्यक्रम
स्वतंत्रता दिवस के दिन, हमारे देश में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जो इस दिन की महत्वता को दर्शाते हैं। सबसे प्रमुख कार्यक्रम दिल्ली के लाल किले पर होता है, जहाँ भारत के प्रधानमंत्री तिरंगा झंडा फहराते हैं और देशवासियों को संबोधित करते हैं। यह परंपरा 15 अगस्त 1947 से चली आ रही है, जब हमारे पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने लाल किले के लाहौरी गेट पर तिरंगा फहराया था।
लाल किले पर होने वाले इस प्रमुख कार्यक्रम में 31 तोपों की सलामी दी जाती है, और प्रधानमंत्री अपने भाषण में देश की उपलब्धियों, भविष्य की योजनाओं और विकास की दिशा में बात करते हैं। यह भाषण हमें अपने देश की प्रगति और भविष्य की दिशा के बारे में सोचने का अवसर प्रदान करता है।
स्वतंत्रता दिवस पर देश की प्रगति
स्वतंत्रता दिवस के इस मौके पर, हमें यह भी सोचना चाहिए कि हमने पिछले 76 वर्षों में क्या-क्या हासिल किया है। भारत ने विज्ञान और तकनीक, शिक्षा, स्वास्थ्य, और आर्थिक विकास के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
भारत का चंद्रयान-3 और मंगलयान जैसे अंतरिक्ष अभियानों ने हमें वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान दिलाई है। कोविड-19 महामारी के दौरान हमारे देश ने त्वरित और प्रभावशाली ढंग से वैक्सीन का निर्माण किया और इसे देश के नागरिकों तक पहुँचाया। इन उपलब्धियों ने हमें साबित कर दिया है कि हमारे देश में समस्याओं का समाधान खोजने की शक्ति है।
भविष्य की चुनौतियाँ और लक्ष्यों की दिशा
हालांकि हमने कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर पार किए हैं, लेकिन अभी भी हमें कई चुनौतियों का सामना करना है। लैंगिक और सामाजिक समानता, न्याय और समृद्धि की दिशा में हमें एक लंबा रास्ता तय करना है। हमारे देश को अभी भी एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए काम करना है, और इसके लिए सभी नागरिकों की भागीदारी आवश्यक है।
हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी नागरिकों को समान अवसर प्राप्त हो, और समाज में हर व्यक्ति की आवाज सुनी जाए। यह केवल एक सरकारी प्रयास नहीं है, बल्कि हर भारतीय नागरिक की जिम्मेदारी है कि वह समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए काम करे।
समाप्ति और प्रेरणादायक पंक्तियाँ
स्वतंत्रता दिवस के इस खास मौके पर, हमें अपने देश के लिए अपने संकल्प को दोहराना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम अपने कर्तव्यों का पालन करें और देश की प्रगति में अपना योगदान दें।
मैं इस अवसर पर कुछ प्रेरणादायक पंक्तियाँ आपके सामने रखना चाहता हूँ:
“सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा,
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलसिताँ हमारा।
पारसियों से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा,
किसी का दिल न माने तो वह माने हमारा।”
इसी के साथ, मैं अपने भाषण का समापन करता हूँ। हम सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। वंदे मातरम्, जय हिंद, जय भारत!