सुप्रीम कोर्ट ने CIC की स्वायत्तता पर दिया जोर, कहा संस्था विशिष्ट कार्य के लिए, इसमें अनुचित हस्तक्षेप नहीं किया जाए

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के प्रभावी कामकाज के लिए उसकी स्वायत्तता को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण करार देते हुए कहा है कि आयोग के पास पीठ गठित करने और नियम बनाने की शक्तियां हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय सूचना आयोग जैसी संस्थाएं विशिष्ट कार्य करने के लिए स्थापित की जाती हैं, जिसके लिए एक स्तर की निष्पक्षता और विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है और ऐसा तभी हो सकता है जब इनमें अनुचित हस्तक्षेप नहीं हो। पीठ ने कहा कि ये नियम आयोग के कुशल प्रशासन और संचालन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक उपकरण हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अपने कामों के निपटारे के लिए केंद्रीय सूचना आयोग की स्वायत्तता बेहद जरूरी है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने पिछले बुधवार को कहा कि प्रशासनिक निकायों की स्वायत्तता और स्वतंत्रता उनके निर्धारित कार्यों को प्रभावी ढंग से करने के वास्ते उनकी क्षमता के लिए महत्त्वपूर्ण है। पीठ ने कहा कि आयोग की पीठों के गठन से संबंधित नियम बनाने की मुख्य सूचना आयुक्त की शक्तियों को बरकरार रखा जाता है, क्योंकि ऐसी शक्तियां आरटीआई अधिनियम की धारा 12 (4) के दायरे में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस फैसले के दौरान की जिसमें उसने दिल्ली हाई कोर्ट के 2010 के निर्णय को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा तैयार किए गए केंद्रीय सूचना आयोग (प्रबंधन) विनियम, 2007 को रद्द कर दिया था तथा कहा था कि आयोग की पीठ गठित करने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक प्रणाली की प्रभावशीलता के लिए इन निकायों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आवश्यक है। इनके कामकाज में हस्तक्षेप करना नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी कुशलतापूर्वक और निष्पक्ष रूप से काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उस फैसले के दौरान की जिसमें उसने दिल्ली हाई कोर्ट के 2010 के निर्णय को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा तैयार किए गए केंद्रीय सूचना आयोग (प्रबंधन) विनियम, 2007 को रद्द कर दिया था तथा कहा था कि उसे आयोग की पीठ गठित करने का कोई अधिकार नहीं है।

कोर्ट ने कहा कि प्रशासनिक प्रणाली की प्रभावशीलता को बनाए रखने के लिए इन निकायों की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना आवश्यक है। इन निकायों के कामकाज में हस्तक्षेप करना नुकसानदायक हो सकता है, क्योंकि इससे उनकी कुशलतापूर्वक और निष्पक्ष रूप से काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।

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