अपनी मर्जी से एंटीबायोटिक्स लेना हो सकता है घातक

एंटीबायोटिक्स (प्रतिजैविक दवाएं) अनेक रोगों में असरदार है. इनकी अपनी खूबियां हैं, लेकिन जब ऐसी दवाएं किसी डॉक्टर के परामर्श के बगैर ली जाती है, तब कभी-कभी इनके गंभीर साइड और आफ्टर इफेक्ट्स हो सकते हैं.

उन दवाओं को एंटीबायोटिक्स कहते हैं, जो व्यक्ति को कई जीवाणुजनित बीमारियों से छुटकारा दिलाती हैं. अनेक एंटीबायोटिक्स प्रयोगशालाओं में रासायनिक सम्मिश्रण और कुछ एंटीबायोटिक्स हर्बल प्लांट से प्रयोगशाला में तैयार की जाती हैं. पेशाब की नली में संकमण (यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन), सांस नली के निचले भाग में संक्रमण (लोवर रेस्पिरेट्री इंफेक्शन), निमोनिया और टाइफाइड आदि रोगों में एंटीबायोटिक्स जीवाणुजनित रोगों से छुटकारा दिलाने में कारगर हैं. संक्षेप में कहें तो शरीर के किसी भी भाग जैसे लिवर, फेफड़े, त्वचा और रक्त आदि में बैक्टीरियल संक्रमण होने पर डॉक्टर एंटीबायोटिक्स का परामर्श देते हैं.

डॉक्टर कब देते हैं एंटीबायोटिक्स

ऐसे मरीज जो एंटीबायोटिक्स लिये बगैर जीवाणुजनित रोगों से छुटकारा नहीं पा सकते, जैसे टाइफाइड (मियादी बुखार) आदि. अगर मरीज का समय रहते इलाज न किया जाये तो वह अन्य व्यक्तियों को भी संक्रमित कर सकते हैं या फिर उनकी स्वयं की हालत निकट भविष्य में बिगड़ सकती है. एक बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) के कम होने या फिर विभिन्न शारीरिक कारणों से उनके संक्रमण की गिरफ्त में आने की आशंकाएं ज्यादा होती हैं.

इन बातों पर दें ध्यान

  • योग्य डॉक्टर के परामर्श पर ही एंटीबायोटिक्स का सेवन करना चाहिए.
  • एंटीबायोटिक्स को ओवर दि काउंटर नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इन दवाओं का अपना एक कोर्स होता है, जो मरीज की स्थिति, उसकी उम्र आदि का निरीक्षण व परीक्षण करने के बाद डॉक्टर तय करता है.
  • समुचित डोज नहीं लेने पर बीमारी फिर से उभर आती है.
  • जो लोग अपनी मर्जी से या किसी किसी के कहने पर ये दवाएं लेते हैं, तो उनमें जी मिचलाना, पेट दर्द, एलर्जी या अन्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती है.

रोगी का शरीर हो जाता है एंटीबायोटिक रेजिस्टेंट

एंटीबायोटिक्स का अधिक सेवन करने पर कालांतर में ये दवाएं मरीजों में जीवाणुओं को खत्म करने की क्षमता खोने लगती हैं, एक दूसरी वजह है कि अधिक मात्रा में लेने पर शरीर इनका आदी हो सकता है. इस कारण इन दवाओं का प्रभाव जीवाणुओं पर कारगर साबित नहीं होता, इस स्थिति को मेडिकल भाषा में एंटीबायोटिक्स रेजिस्टेंट कहते हैं.

ऐसी भूल तो कभी न करें

अनेक ऐसे व्यक्ति है, जो एंटीबायोटिक्स की पहली डोज लेना भूल जाते हैं और जब दूसरी दवा लेने का वक्त आता है, तो वे अज्ञानतावश दोनों खुराकों को एक साथ ले लेते हैं. यह स्थिति शरीर के लिए कई खत्तरे पैदा कर सकती है. अगर एक डोज का वक्त छूट चुका है तो उसे छोड़ दीजिए और दूसरी खुराक को तयशुदा समय पर लें, लेकिन डबल डोज न लें.

डॉ सुशीला कटारिया निदेशक, इंटरनल मेडिसिन, नेवता, गुठचाम

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