शुक्रवार, 9 अगस्त की सुबह कोलकाता के R.G Kar Medical College में एक महिला डॉक्टर का शव मिला। उसे एक सेमिनार हॉल में अर्धनग्न अवस्था में पाया गया, और उसके शरीर पर चोट के निशान थे। इस घटना से पूरे मेडिकल समुदाय में हड़कंप मच गया है, और कई लोग इस मामले की गहन जांच की मांग कर रहे हैं।
महिला छाती चिकित्सा विभाग की दूसरी वर्ष की छात्रा थी। पुलिस के अनुसार, घटना गुरुवार रात या शुक्रवार तड़के हुई। छात्रा के माता-पिता और अस्पताल के डॉक्टरों का कहना है कि उसके साथ हत्या से पहले यौन शोषण भी किया गया हो सकता है।
महिला के शव पर होंठ, गर्दन, और गालों पर चोट के निशान मिले हैं, जिन्हें खरोंच के निशान के रूप में देखा जा रहा है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है, और पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है, लेकिन सेमिनार हॉल में कोई कैमरा नहीं लगा था।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मृतक छात्रा के माता-पिता से बात कर निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। पुलिस आयुक्त और राज्य स्वास्थ्य सचिव ने भी अस्पताल पहुंचकर मामले की जांच की।
अस्पताल में इस घटना को लेकर पीजी छात्र और डॉक्टर विरोध कर रहे हैं, और उन्होंने न्यायिक मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में पोस्टमॉर्टम की मांग की है। अस्पताल ने घटना की जांच के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन किया है।
भारतीय जनता पार्टी ने भी इस मामले में राज्य सरकार पर मामले को दबाने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया है।
स्वास्थ्य सेवा डॉक्टरों के संघ के पूर्व महासचिव, डॉ. मनस गुम्ता ने कहा कि यह घटना बहुत गंभीर है और इसकी जांच एक उच्च-स्तरीय टीम या न्यायिक समिति से कराई जानी चाहिए। उनका कहना है कि पुलिस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है और इसे आत्महत्या बताने की कोशिश कर रही है, जो गलत है। उन्होंने एक विशेषज्ञ टीम से पोस्टमार्टम कराने की मांग की है जो कॉलेज के बाहर से हो।
मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भी न्यायिक मजिस्ट्रेट की निगरानी में पोस्टमार्टम कराने की मांग की है। डॉक्टरों का कहना है कि यह काम वरिष्ठ सर्जनों और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की एक समिति के तहत होना चाहिए।
भारतीय चिकित्सा संघ – जूनियर डॉक्टर्स नेटवर्क (IMA-JDN) ने भी कोलकाता पुलिस आयुक्त को पत्र लिखकर इसी तरह की मांग की है। सोशल मीडिया पर कई डॉक्टरों और स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने इस घटना पर दुख और चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह घटना प्रशासन की बड़ी विफलता को दिखाती है, और डॉक्टर अब अपने कॉलेजों में भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं।
डॉक्टरों का कहना है कि इस मामले की जांच CBI से होनी चाहिए और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।