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आस्ट्रिया के चांसलर के साथ शिखर वार्ता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोहराया, यह युद्ध का समय नहीं, आतंकवाद अस्वीकार्य

Published on July 11, 2024 by Vivek Kumar

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने आस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर के साथ सार्थक चर्चा की और इस दौरान उन्होंने यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया में स्थिति समेत विश्व में जारी विवादों पर विस्तृत रूप से विचार- विमर्श किया। मोदी ने दोहराया, यह युद्ध का समय नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत और आस्ट्रिया, दोनों ही आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हैं और इस बात पर सहमत हैं कि यह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के बाद मास्को से वियना पहुंचे। 40 से अधिक वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की आस्ट्रिया की यह पहली यात्रा है। उन्होंने कहा कि भारत और आस्ट्रिया ने आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए नई संभावनाएं तलाशी हैं तथा आगामी दशक में सहयोग के लिए खाका तैयार किया है। वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने नेहमर के साथ संयुक्त प्रेस वक्तव्य में कहा कि चांसलर नेहमर और मैंने दुनियाभर में जारी संघर्षों के बारे में विस्तृत वार्ता की, चाहे वह यूक्रेन संघर्ष हो या पश्चिम एशिया के हालात हो। मैंने पहले भी कहा है कि यह युद्ध का समय नहीं है। युद्ध के मैदान में समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता। किसी भी जगह निर्दोष लोगों की जान जाना अस्वीकार्य है।' उन्होंने कहा कि भारत और आस्ट्रिया ने शांति एवं स्थिरता जल्द से जल्द बहाल करने के लिए वार्ता और कूटनीति पर जोर दिया। उन्होंने याद दिलाया कि ऐतिहासिक वियना कांग्रेस (सम्मेलन) का आयोजन इसी हाल में किया गया था, जहां वे खड़े हैं और उस सम्मेलन ने यूरोप में शांति और स्थिरता के लिए राह दिखाई थी। वहीं, नेहमर ने कहा कि भारत एक प्रभावशाली और भरोसेमंद देश है और रूस-यूक्रेन शांति प्रक्रिया में उसकी भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है। आस्ट्रिया, यूक्रेन का सहयोगी देश है। नेहमर ने कहा कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मुद्दे पर हमारी बहुत विस्तृत बातचीत हुई। आस्ट्रिया के चांसलर के रूप में मेरे लिए भारत के आकलन को जानना और उसे समझना तथा भारत को यूरोपीय चिंताओं से अवगत कराना विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है। इसके अलावा, पश्चिम एशिया में संघर्ष चर्चा के दौरान एक प्रमुख विषय था। पुतिन के साथ बातचीत के दौरान मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कहा था कि यूक्रेन संघर्ष का समाधान युद्ध के मैदान में संभव नहीं है और शांति के प्रयास बम और गोलियों के बीच सफल नहीं होते। नेहमर ने कहा कि एक भरोसेमंद साझेदार के नाते आस्ट्रिया वार्ता की मेजबानी करने को तैयार है और अपनी अनूठी स्थिति का उपयोग एक तटस्थ देश के रूप में करने के लिए उपलब्ध है। आस्ट्रिया यूरोपीय संघ का सदस्य है लेकिन नाटो का सदस्य देश नहीं है। मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही आस्ट्रिया की यात्रा करने का मौका मिला। उन्होंने कहा कि मेरी यह यात्रा ऐतिहासिक और विशेष है। लोकतंत्र और कानून का शासन जैसे मूल्यों में साझा विश्वास भारत आस्ट्रिया संबंधों का मजबूत आधार है। पारस्परिक विश्वास और साझा हित हमारे संबंधों को मजबूत करते हैं। मोदी ने कहा कि मेरी यह यात्रा ऐतिहासिक भी है और विशेष भी। भारत का कोई प्रधानमंत्री लगभग 41 साल बाद आस्ट्रिया की यात्रा पर आया है। यह भी एक सुखद संयोग है कि यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंधों के 75 साल पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज चांसलर नेहमर और मेरे बीच बहुत ही सार्थक चर्चा हुई। हमने अपने सहयोग को और मजबूत करने के लिए नए अवसरों की पहचान की है। हमने अपने संबंधों को रणनीतिक दिशा प्रदान करने का निर्णय लिया है। आने वाले दशकों में सहयोग के लिए एक खाका तैयार किया गया है। यह केवल आर्थिक सहयोग और निवेश तक ही सीमित नहीं है। मोदी ने कहा कि हम बुनियादी ढांचे के विकास, नवाचार, नवीकरणीय ऊर्जा, हाइड्रोजन, जल और अपशिष्ट प्रबंधन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अपनी शक्तियों को संयोजित करने के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि आज, हमने मानवता के समक्ष मौजूद चुनौतियों, जैसे कि जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद पर भी अपने विचार साझा किए। जलवायु के संबंध में, हम आस्ट्रिया को अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन और जैव ईंधन गठबंधन जैसी हमारी पहल में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं। भारत और आस्ट्रिया, दोनों ही आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हैं और इस बात पर सहमत हैं कि यह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। मोदी ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार करने पर सहमत हुए हैं ताकि उन्हें समसामयिक और प्रभावशाली बनाया जा सके।

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