तिरुपति लड्डू विवाद के चलते मथुरा के सभी मंदिरों में मिष्ठान प्रसाद पर रोक लगा दी गई है। स्थानीय धार्मिक संगठन ‘धर्म रक्षा संघ’ ने निर्णय लिया है कि कृष्ण नगरी के मंदिरों में बाजार से मिलने वाली मिठाइयों के स्थान पर फल, फूल, पंचमेवा, इलायची के बीज और मिश्री जैसे पारंपरिक प्रसाद चढ़ाए जाएंगे।
प्रयागराज में भी मिष्ठान प्रसाद पर प्रतिबंध
प्रयागराज के प्रमुख मंदिरों में भी बाहर से मिष्ठान, जैसे लड्डू और पेड़े, लाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। मंदिर के महंतों ने भक्तों से नारियल, इलायची दाना और सूखे मेवे जैसे शुद्ध प्रसाद चढ़ाने का आग्रह किया है, जिससे मिलावट का खतरा नहीं रहेगा।
बजरंगबली को गुड़-चना का प्रसाद
संगम तट पर स्थित बड़े हनुमान मंदिर के महंत बलबीर गिरि जी महाराज ने कहा कि मंदिर का कॉरिडोर निर्माण पूरा होने के बाद लड्डू और पेड़े का प्रसाद मंदिर प्रबंधन द्वारा तैयार कराया जाएगा। तब तक, बजरंगबली को चना गुड़ का प्रसाद अर्पित किया जाएगा।
मनकामेश्वर मंदिर में फल का प्रसाद
यमुना तट पर स्थित मनकामेश्वर मंदिर के महंत श्रीधरानंद ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा कि तिरुपति विवाद के चलते उन्होंने बाहर से प्रसाद लाने पर रोक लगा दी है। लड्डू और पेड़े की गुणवत्ता की जांच के लिए जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखा गया है। उन्होंने यह भी बताया कि फलों पर अधिक भरोसा किया जाता है।
ललितादेवी मंदिर में चढ़ेंगे नारियल और सूखे मेवे
प्रयागराज के प्रसिद्ध ललितादेवी मंदिर के मुख्य पुजारी शिव मूरत मिश्र ने कहा कि मंदिर में मिष्ठान प्रसाद का भोग नहीं लगेगा। भक्तों से नारियल, फल, सूखे मेवे और इलायची दाना चढ़ाने की अपील की गई है। भविष्य में शुद्ध मिष्ठान प्रसाद की दुकानें भी मंदिर परिसर में खोली जाएंगी।
अलोप शंकरी मंदिर में घर में बना प्रसाद
अलोप शंकरी मंदिर के मुख्य संरक्षक यमुना पुरी महाराज ने कहा कि मिठाई प्रसाद पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। यदि भक्त भोग अर्पित करना चाहें, तो उन्हें घर में बना प्रसाद या फल-फूल भोग स्वरूप अर्पित करने की अनुमति होगी।
इस प्रकार, तिरुपति लड्डू विवाद ने विभिन्न मंदिरों में प्रसाद की परंपरा को बदलने का अवसर प्रदान किया है, जिससे शुद्धता और पारंपरिकता को प्राथमिकता दी जा रही है।