रांची: संताल परगना में जनसांख्यिकीय बदलावों से जुड़ी एक अहम अपडेट में, केंद्र सरकार ने झारखंड उच्च न्यायालय में अपनी रिपोर्ट पेश की है। इस रिपोर्ट में क्षेत्र में जनजातीय आबादी में तेज गिरावट और ईसाई जनसंख्या में अभूतपूर्व वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है। जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत किए गए हलफनामे में केंद्र ने बताया कि संताल परगना में जनजातीय आबादी वर्षों में 44% से घटकर 28% रह गई है। सरकार के अनुसार, इस 16% की गिरावट का मुख्य कारण प्रवास और धार्मिक धर्मांतरण है।
केंद्र सरकार ने मुस्लिम जनसंख्या में भी तेज वृद्धि पर ध्यान दिलाया, जो छह जिलों में 20% से बढ़कर 40% हो गई है। विशेष रूप से पाकुड़ और साहिबगंज जिलों में इस वृद्धि को महत्वपूर्ण माना गया है। इसके साथ ही, हलफनामे में बताया गया कि ईसाई जनसंख्या में आश्चर्यजनक रूप से 6000 गुना वृद्धि हुई है, जो हाल के दशकों में दर्ज की गई है।
बांग्लादेशी घुसपैठ पर याचिका
यह जनहित याचिका डैनियल डैनिश द्वारा दायर की गई थी, जिसमें संताल परगना के छह जिलों में बांग्लादेशी नागरिकों की कथित घुसपैठ पर चिंता व्यक्त की गई है। याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इस घुसपैठ के कारण जनसंख्या की धार्मिक संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव हो रहा है। उन्होंने मदरसों के निर्माण में वृद्धि की ओर भी इशारा किया और कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठिए स्थानीय जनजातीय समुदायों के साथ विवाह संबंध स्थापित कर रहे हैं, जिससे जनसांख्यिकीय बदलाव तेजी से हो रहा है।
अदालत की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका में उठाए गए मुद्दों पर चर्चा की। मेहता ने कहा कि स्थिति गंभीर है और जनजातीय आबादी में गिरावट एक बड़ी चिंता का विषय है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार इस स्थिति पर कड़ी नजर रख रही है और बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) और आईबी (इंटेलिजेंस ब्यूरो) जैसी प्रमुख एजेंसियों से परामर्श के बाद विस्तृत रिपोर्ट दाखिल की जाएगी।
केंद्र की जनसांख्यिकीय बदलाव पर गंभीरता
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत को सूचित किया कि केंद्र सरकार घुसपैठ के मुद्दे को लेकर प्रतिबद्ध है, खासकर उन सीमावर्ती क्षेत्रों में जहां जनसांख्यिकीय बदलाव का खतरा बढ़ रहा है। सरकार ने इस घुसपैठ को न केवल झारखंड बल्कि पड़ोसी राज्यों के लिए भी खतरा बताया और कहा कि घुसपैठ को रोकने और स्थानीय जनसंख्या पर इसके प्रभाव को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है।
केंद्र सरकार की रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि संताल परगना में ईसाई जनसंख्या में 6000 गुना वृद्धि हुई है। यह वृद्धि मुख्य रूप से धार्मिक धर्मांतरण से जुड़ी मानी जा रही है, हालांकि इसके पीछे के सटीक कारणों की जांच अभी भी आवश्यक है।
अगले कदम
झारखंड उच्च न्यायालय ने केंद्र के हलफनामे और तर्कों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 सितंबर की तारीख निर्धारित की है। इस सुनवाई में केंद्र सरकार से बांग्लादेशी घुसपैठ और संताल परगना में हो रहे जनसांख्यिकीय बदलावों पर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद की जा रही है। अदालत इस बात की भी जांच करेगी कि इन बदलावों का क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक ढांचे पर और स्थानीय जनजातीय आबादी पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
याचिका की मांग
डैनियल डैनिश द्वारा दायर याचिका संताल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण हो रहे जनसांख्यिकीय बदलावों को लेकर गहन जांच की मांग करती है। याचिका में यह भी कहा गया है कि गृह मंत्रालय इस मुद्दे पर विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करे और घुसपैठ को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए ताकि क्षेत्र की जनजातीय आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
इस संवेदनशील मुद्दे पर अदालत के आगामी निर्णयों का झारखंड और अन्य राज्यों पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है, जहाँ इसी तरह के जनसांख्यिकीय बदलाव देखे जा रहे हैं।