केन्‍द्रीय बजट 2023-24: कृषि क्षेत्र के लिए 1.52 लाख करोड़ का आबंटन

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में किसानों की भलाई के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों तक बेहतर पहुंच सुनिश्चित करने के लिए कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपए आवंटित करने की घोषणा की है, जबकि पिछले वर्ष इस मद में 1.40 लाख करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था।

प्रमुख घोषणाएँ

  • कृषि अनुसंधान और विकास: सरकार ने जलवायु सहिष्णु फसलों और बागवानी की 109 किस्मों के विकास के साथ कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देने का प्रस्ताव किया है। यह कदम कृषि उत्पादकता को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मददगार होगा।
  • किसान क्रेडिट कार्ड: पांच राज्यों में जन-संवर्धित किसान क्रेडिट कार्ड की शुरुआत की जाएगी, जो किसानों को बेहतर वित्तीय समर्थन प्रदान करेगा।
  • प्राकृतिक खेती: एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने की दिशा में पहल की जाएगी, जिससे वे अधिक टिकाऊ और पर्यावरणीय रूप से सुरक्षित खेती की ओर अग्रसर हो सकें।
  • फसल किस्मों में सुधार: किसानों को जल्द ही 32 खेत और बागवानी फसलों में 109 नई उच्च उपज वाली, जलवायु-सहिष्णु किस्मों तक पहुंच प्राप्त होगी। यह पहल फसल विविधीकरण और उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से की जा रही है।

तिलहन और दलहन मिशन

  • आत्मनिर्भरता के लिए मिशन: सरसों, मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूरजमुखी जैसे तिलहनों के लिए आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए विशेष मिशन तैयार किया जा रहा है। इस मिशन का उद्देश्य तिलहन और दलहन उत्पादन, भंडारण और विपणन ढांचे को सशक्त बनाना है।

टिकाऊ खेती और अनुसंधान

  • अनुसंधान में निवेश: कृषि अनुसंधान ढांचे की गहन समीक्षा की जाएगी और इस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए शोध निधि चुनौती-आधारित होगी, जिसमें निजी क्षेत्र की भागीदारी को भी शामिल किया जाएगा।
  • उपभोग केंद्रों के पास सब्जी उत्पादन: बजट में उपभोग केंद्रों के पास बड़े पैमाने पर सब्जी उत्पादन के समूह (क्लस्टर) विकसित करने का भी प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही किसान-उत्पादक संगठनों और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए भी योजनाएँ बनाई गई हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया बजट किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इसमें कृषि अनुसंधान, टिकाऊ खेती, और फसल विविधीकरण पर जोर दिया गया है। इससे न केवल किसानों की आय बढ़ाने की उम्मीद है, बल्कि कृषि क्षेत्र को भी एक नई दिशा मिलेगी।

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