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यूपी सरकार का फैसला, कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों व दुकानों पर लिखना होगा नाम

Published on July 20, 2024 by Vivek Kumar

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेलों सहित भोजनालयों को अपने मालिकों या इन दुकानों पर काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने के आदेश के बाद अब यह व्यवस्था पूरे राज्य में लागू होगी। प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को यह फैसला किया है। इस संबंध में जल्द ही औपचारिक आदेश जारी होने की संभावना है। सरकार के एक प्रवक्ता ने यह जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अभिषेक सिंह ने गत सोमवार को कहा था कि जिले में लगभग 240 किलोमीटर लंबा कांवड़ मार्ग है। इस मार्ग पर स्थित सभी होटलों, ढाबों और ठेले वालों से अपने मालिकों या फिर वहां काम करने वालों के नाम प्रदर्शित करने को कहा गया है। उनका कहना था कि यह इसलिए जरूरी है, ताकि किसी कांवड़िए के मन में कोई भ्रम न रहे और कानून-व्यवस्था बनी रहे। वहीं, मेरठ के बाट-माप विभाग के प्रभारी वीके मिश्रा ने बताया कि खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 के अनुसार, प्रत्येक रेतरां या ढाबा संचालक के लिए फर्म का नाम, अपना नाम और लाइसेंस नंबर लिखना अनिवार्य है। उनके अनुसार जागो ग्राहक जागो योजना के तहत नोटिस बोर्ड पर मूल्य सूची भी लगाना जरूरी है।

उत्तराखंड में भी होगी ऐसी ही व्यवस्था

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी कांवड़ यात्रा मार्ग पर होटल, ढाबों और सड़क किनारे भोजनालयों को अपने मालिकों के नाम- पते और मोबाइल फोन नंबर प्रदर्शित करने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को कहा कि गत 12 जुलाई को कांवड़ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा के लिए हुई एक बैठक में यह निर्णय लिया गया था। राज्य सरकार के इस फैसले का मकसद हरिद्वार कांवड़ यात्रा मार्ग पर यह व्यवस्था सुनिश्चित करना है। हालांकि, कुछ कांवड़िए 22 जुलाई से शुरू होने वाली यात्रा के हिस्से के रूप में ऋषिकेश, नीलकंठ और गंगोत्री भी जाएंगे। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि इस फैसले का मकसद किसी को निशाना बनाना या परेशानी में डालना नहीं है। उन्होंने सवाल किया कि किसी को अपना परिचय देने में कोई समस्या क्यों होनी चाहिए? हरिद्वार में हर की पैड़ी पर अतीत में आपराधिक घटनाएं हुई हैं, जब कुछ होटल और ढाबा संचालकों द्वारा अपनी असली पहचान छिपाने को लेकर तनाव पैदा हो गया था। सरकार ने ऐसी घटनाओं को रोकने के मद्देनजर यह कदम उठाया है।

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