उत्तर प्रदेश में हुए 9 विधानसभा सीटों के उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं। भाजपा गठबंधन ने 7 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) को केवल 2 सीटें मिलीं। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का प्रदर्शन बेहद खराब रहा, जिसमें 7 सीटों पर उनके प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
कुंदरकी में भाजपा की ऐतिहासिक जीत
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट पर भाजपा ने 31 साल बाद जीत का परचम लहराया। इस सीट पर 60% मुस्लिम वोटरों के बावजूद भाजपा प्रत्याशी रामवीर सिंह ने 1.44 लाख वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की। सपा समेत अन्य सभी 11 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।
यह तीसरी बार था जब रामवीर सिंह और सपा के रिजवान के बीच मुकाबला हुआ। पहली बार भाजपा को इस सीट पर जीत मिली, जो रामवीर सिंह के लिए एक मील का पत्थर है।
कटेहरी में सपा सांसद लालजी वर्मा की पत्नी की हार
अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट पर सपा सांसद लालजी वर्मा अपनी पत्नी शोभावती वर्मा को चुनाव जिताने में असफल रहे। भाजपा के धर्मराज निषाद ने उन्हें 34 हजार वोटों से हराया। लालजी वर्मा, जो हमेशा अपने गृह क्षेत्र टांडा में बड़ी बढ़त लेते रहे हैं, इस बार भाजपा के खिलाफ कमजोर साबित हुए।
करहल और सीसामऊ में सपा की जीत का अंतर घटा
- करहल: अखिलेश यादव के सांसद बनने के बाद खाली हुई इस सीट पर उनके भतीजे तेज प्रताप ने चुनाव लड़ा। 2022 में अखिलेश ने 67,504 वोटों से जीत दर्ज की थी, जबकि इस बार तेज प्रताप केवल 14,725 वोटों से जीत सके।
- सीसामऊ: सपा की नसीम सोलंकी ने भाजपा के सुरेश अवस्थी को 8,564 वोटों से हराया। नसीम ने यह सीट अपने पति इरफान सोलंकी के जेल जाने के बाद जीती।
बसपा का खराब प्रदर्शन
कभी यूपी की सत्ता में पूर्ण बहुमत से काबिज रही बसपा इस बार केवल 2 सीटों पर अपनी जमानत बचा सकी। 7 सीटों पर उनके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान
सीएम योगी ने भाजपा की इस जीत को राष्ट्रवाद की जीत बताया। उन्होंने कहा, “कुंदरकी में राष्ट्रवाद की विजय हुई है। हर व्यक्ति को अपने जड़ और मूल की याद आती है।”
अखिलेश यादव का बयान
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “अब तो असली संघर्ष शुरू हुआ है… बांधे मुट्ठी, तानो मुट्ठी और पीडीए का करो उद्घोष।”
इन उपचुनावों ने भाजपा की बढ़ती पकड़ को स्पष्ट कर दिया है। कुंदरकी जैसे मुस्लिम बहुल क्षेत्र में जीत भाजपा के लिए बड़ी उपलब्धि है। वहीं, सपा को अपने गढ़ों में भी चुनौती का सामना करना पड़ा। बसपा का प्रदर्शन उसकी लगातार घटती राजनीतिक ताकत को दर्शाता है।