जिरीबाम जिले में ताजा हिंसा में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गई, जबकि इससे एक दिन पहले बिष्णुपुर में आतंकी रॉकेट हमलों के कारण एक बुजुर्ग की मौत और पांच अन्य घायल हुए थे। एक पुलिस अधिकारी के अनुसार, शनिवार तड़के आतंकियों ने एक गांव में घुसकर एक व्यक्ति को सोते समय गोली मार दी, जिसके बाद हुई गोलीबारी में चार सशस्त्र लोगों की मौत हो गई। यह हिंसा मणिपुर के कूकी और मैतेई समुदायों के बीच जातीय झड़पों से जुड़ी है।
मणिपुर में पिछले 17 महीनों से संघर्ष चल रहा है, और हाल की घटनाओं ने इस हिंसा को और भड़का दिया है। शुक्रवार को आतंकियों ने पहली बार रॉकेट का इस्तेमाल कर हमले किए, जिसमें मणिपुर पुलिस के अनुसार कूकी आतंकियों ने “लॉन्ग-रेंज रॉकेट” दागे। ये रॉकेट लगभग चार फीट लंबे थे और इन्हें जस्ती लोहे के पाइप से बनाया गया था। आतंकियों ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों से इन रॉकेटों को दागा।
सुरक्षा बढ़ाई गई, स्कूल बंद
बढ़ती हिंसा को देखते हुए मणिपुर सरकार ने 7 सितंबर से राज्य भर के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिया है, ताकि छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। यह निर्णय बिष्णुपुर जिले में रॉकेट हमलों के बाद लिया गया, जिनमें से एक पूर्व मुख्यमंत्री मैरेम्बम कोइरेंग के घर के परिसर में गिरा था। इस हमले में 72 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।
कोकोमी का विरोध प्रदर्शन
इम्फाल घाटी के पांच जिलों में स्थित नागरिक संगठनों के गठबंधन, कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (COCOMI), ने “जन आपातकाल” की घोषणा की है। उन्होंने हमलों के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाकर प्रदर्शन किया और सरकार के हालात संभालने के तरीके की आलोचना करते हुए आत्मरक्षा के लिए कदम उठाने की मांग की है।
ड्रोन से बमबारी का उपयोग
हाल की हिंसा में ड्रोन का भी उपयोग देखा गया है, जो पहली बार 1 सितंबर को कोउत्रुक गांव में बम गिराने के लिए इस्तेमाल हुआ था। शुक्रवार की रात बिष्णुपुर और इम्फाल ईस्ट जिलों में कई ड्रोन देखे गए, जिससे इलाके में दहशत फैल गई। इस पर काबू पाने के लिए सुरक्षा बलों ने अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है और स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए निगरानी की जा रही है।