वक्फ बोर्ड की जमीन: पटना के गोविंदपुर गांव में हिंदुओं को घर छोड़ने के लिए दिए गए 6 नोटिस

पटना: बिहार में जमीन सर्वे को लेकर चल रहे विवादों के बीच, एक नया मामला सामने आया है। पटना से सटे गोविंदपुर गांव में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 9 डिसमिल विवादित जमीन पर दावा किया है। इस जमीन को खाली कराने के लिए वक्फ बोर्ड ने जिलाधिकारी के माध्यम से नोटिस जारी किए हैं। आइए जानते हैं, यह मामला क्या है?

विवाद का विवरण

गोविंदपुर गांव की 9 डिसमिल जमीन को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। इस मुद्दे पर बीजेपी के नेता, जैसे संजय जायसवाल, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, और उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने गांव का दौरा किया है। इस मामले ने अब एक हाई प्रोफाइल मोड़ ले लिया है। बीजेपी वक्फ बोर्ड के नोटिस पर सवाल उठा रही है।

बीजेपी नेताओं की प्रतिक्रिया

बीजेपी नेता संजय जायसवाल ने मीडिया से कहा कि यह जमीन 1969 से ग्रामीणों की है। उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड इसे हड़पना चाहता है। बिहार सुन्नी वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष इरशाद उल्लाह का कहना है कि जमीन पर 6 लोग अवैध कब्जा कर रहे हैं, जिनमें से तीन हिंदू हैं, और इसलिए उन्हें नोटिस दिया गया है।

जमीन पर दावा

ग्रामीणों का कहना है कि यह जमीन उनके पास है और इसके प्रमाण भी हैं। उनका आरोप है कि उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड से जुड़े लोगों का कहना है कि केवल उनके पास कागजात हैं, और इसी आधार पर जमीन का अधिकार तय होगा। यदि किसी को समस्या है, तो वह कोर्ट जा सकता है।

वक्फ बोर्ड की संपत्ति

बिहार में वक्फ बोर्ड के पास बड़ी संख्या में संपत्तियां हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास लगभग 5000 एकड़ और शिया वक्फ बोर्ड के पास 25000 बीघा जमीन है। वक्फ बोर्ड का दावा है कि उनकी संपत्ति का लगभग 30 प्रतिशत भू माफिया और सरकारी एजेंसियों के कब्जे में है।

भू माफिया और वक्फ बोर्ड

वक्फ बोर्ड ने यह भी कहा है कि पटना में फ्रेजर रोड पर 17 बीघा जमीन पर भू माफिया का कब्जा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में वक्फ बोर्ड के पक्ष में निर्णय सुनाया है। मुस्लिम समुदाय के बुद्धिजीवी मानते हैं कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति का इस्तेमाल जन कल्याण के लिए होना चाहिए, न कि भू माफिया द्वारा हड़पने के लिए।

समस्या का समाधान

वक्फ बोर्ड का कहना है कि उसकी संपत्ति बेची नहीं जा सकती, बल्कि इसे केवल मुतवल्ली के माध्यम से 30 वर्षों के लिए लिया जा सकता है। उपयोगकर्ता को बाजार मूल्य के अनुसार किराया चुकाना होता है। हालांकि, कई लोग पिछले 50 साल से अधिक समय से कब्जा किए हुए हैं और किराया नहीं चुका रहे हैं।

यह मामला अब पटना के गोविंदपुर गांव में एक बड़ा विवाद बन चुका है और आगे की कार्रवाई का इंतजार है।

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