अमेरिका की ओर से 50% तक के ऊंचे टैरिफ लागू रहने के बावजूद भारत के अमेरिका को निर्यात में अक्टूबर महीने में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार सितंबर के 5.5 अरब डॉलर की तुलना में अक्टूबर में निर्यात 14.5% बढ़कर 6.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह पिछले पांच महीनों में पहली बार है जब भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजार में सुधार दिखाई दिया है। अगस्त के अंत में लागू हुए ऊंचे टैरिफ और रूस से तेल खरीदने पर 25% की अतिरिक्त पेनल्टी के कारण सितंबर में व्यापार पर बड़ा असर पड़ा था, लेकिन अक्टूबर के आंकड़े बेहतर तस्वीर पेश करते हैं।

इसी बीच दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव भी कम होता नजर आ रहा है। भारत ने पहली बार एक बड़ा समझौता किया है, जिसके तहत सरकारी तेल कंपनियां अपनी सालाना LPG जरूरत का लगभग 10% हिस्सा अब अमेरिका से आयात करेंगी। ऊर्जा मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इसे “ऐतिहासिक फैसला” बताया है। साथ ही अमेरिका ने चाय, कॉफी और मसालों जैसे कई भारतीय कृषि उत्पादों पर लगने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ हटा दिए हैं, जिससे भारत के करीब 1 अरब डॉलर के कृषि निर्यात को फायदा होगा।
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि मई से अक्टूबर के बीच भारत का अमेरिका को कुल निर्यात 28.4% घटा है, लेकिन अक्टूबर की रिकवरी यह संकेत देती है कि स्मार्टफोन और दवा उद्योग जैसे टैरिफ-फ्री सेक्टर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच रुकी हुई भारत-अमेरिका ट्रेड डील पर भी तेजी से प्रगति हो रही है और अधिकारियों के मुताबिक पहले चरण की वार्ता लगभग पूरी होने को है।
उधर, अमेरिका रूस से भारत की तेल खरीद को कम करने का दबाव बनाए हुए है, क्योंकि पिछले साल भारत ने 52.7 अरब डॉलर का रूसी क्रूड आयात किया था। वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अगले महीने भारत आने वाले हैं, जिससे कूटनीतिक संतुलन बनाए रखना भारत के लिए चुनौती रहेगा। इसके बावजूद, अक्टूबर के व्यापार आंकड़े बताते हैं कि भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में नरमी आ रही है और निकट भविष्य में निर्यात और व्यापार संबंध और मजबूत हो सकते हैं।