आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की छठवीं पुण्यतिथि है। अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में हुआ था। उनकी समाधि “सदैव अटल” पर श्रद्धांजलि समारोह आयोजित किया गया, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई वरिष्ठ नेताओं ने भाग लिया।
“सदैव अटल” पर श्रद्धांजलि समारोह
श्रद्धांजलि सभा अटल बिहारी वाजपेयी की अंतिम विश्राम स्थली पर आयोजित की गई। इसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, और NDA तथा भाजपा के अन्य सदस्य शामिल हुए। यह कार्यक्रम वाजपेयी के योगदान और विरासत को श्रद्धांजलि अर्पित करने का एक गंभीर अवसर था।
श्रद्धांजलि और विचार: गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने वाजपेयी के देश को सामरिक और आर्थिक रूप से मजबूत करने में भूमिका की सराहना की। शाह ने कहा कि जब भी देश में राजनीतिक शुचिता, राष्ट्रहित के प्रति निष्ठा और सिद्धांतों के प्रति अडिगता की बात होगी, अटल जी को हमेशा याद किया जाएगा।
यादें और प्रभाव
जन्म और प्रारंभिक जीवन: अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। वे भारतीय राजनीति में दशकों तक एक प्रमुख चेहरा बने रहे और भारत के पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे जिन्होंने अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया। वाजपेयी ने 1977 से 1979 तक भारत के विदेश मंत्री के रूप में भी कार्य किया।
प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल: वाजपेयी तीन बार भारत के प्रधानमंत्री बने। उनका पहला कार्यकाल 1996 में 13 दिनों के लिए था, जो बहुमत साबित न कर पाने के कारण समाप्त हो गया। दूसरी बार वे 1998 में प्रधानमंत्री बने, लेकिन सहयोगी दलों का समर्थन वापस लेने के कारण 13 महीने बाद आम चुनाव हुए। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और 2004 तक अपना कार्यकाल पूरा किया। इस समय के दौरान भारत ने महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार और बुनियादी ढांचे के विकास का अनुभव किया।
अटल बिहारी वाजपेयी: जीवन की प्रमुख घटनाएं
25 दिसंबर 1924: अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ।
1951: वाजपेयी भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शामिल हुए।
1957: वे पहली बार संसद सदस्य बने।
1968: वाजपेयी को भारतीय जनसंघ का अध्यक्ष बनाया गया।
1977: उन्होंने जनता पार्टी की स्थापना की और जनता पार्टी सरकार में विदेश मंत्री के रूप में कार्य किया।
1992: अटल बिहारी वाजपेयी को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
1996: वाजपेयी ने 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, लेकिन बहुमत साबित न कर पाने के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।
1998: वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने और 13 महीने तक कार्य किया।
1999: वाजपेयी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और पांच साल तक सरकार चलाई।
2015: उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
16 अगस्त 2018: अटल बिहारी वाजपेयी का निधन 93 वर्ष की आयु में हुआ।
विरासत: वाजपेयी की नेतृत्व शैली को उनकी अर्थव्यवस्था की प्रगति, रणनीतिक रक्षा और भारत की वैश्विक स्थिति को बढ़ाने के प्रति प्रतिबद्धता के लिए याद किया जाता है। उनके कार्यकाल में महत्वपूर्ण पल जैसे परमाणु परीक्षण और आर्थिक नीतियों ने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूती दी।
आज की श्रद्धांजलि वाजपेयी की नेतृत्व की स्थायी प्रभाव और उनके प्रति सम्मान को दर्शाती है। उनका योगदान आज भी प्रेरणा का स्रोत है और उनकी विरासत भारतीय राजनीति और नीतियों पर गहरा प्रभाव डालती है।
यह दिन अटल बिहारी वाजपेयी के योगदान की याद दिलाने और उनके प्रति सम्मान की अभिव्यक्ति का एक महत्वपूर्ण अवसर है।