हाथरस के एक प्राइवेट स्कूल में एक 11 वर्षीय बच्चे की हत्या के मामले में नया मोड़ आया है। एक और बच्चे ने खुलासा किया है कि उसे भी जान से मारने की कोशिश की गई थी, लेकिन वह भागने में सफल रहा। उसने बताया कि उसके साथ क्या हुआ, जब उसे भीषण स्थिति का सामना करना पड़ा।

पुलिस ने इस मामले में पांच संदिग्धों को गिरफ्तार किया है। रिपोर्टों के अनुसार, आरोपियों का मानना था कि इस हत्या के जरिए स्कूल की समृद्धि बढ़ेगी। यह खौफनाक घटना कुछ दिन पहले हुई थी, जब एक आठ वर्षीय छात्र को मारने का प्रयास किया गया था। उस बच्चे ने अपने बयान में कहा कि उसके गले को दबाया गया और नाक को भी बंद किया गया।

इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, यह घटना 6 सितंबर को घटी थी। बच्चे के परिवार को स्कूल से सूचना मिली थी कि उसे पेट में दर्द है। जब उसके दादा सुरेंद्र और पुलिस के एक रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर वहां पहुंचे, तो उन्होंने बच्चे के गले पर निशान देखे और उसकी आंखों में लालिमा पाई।

इस बच्चे ने खुलासा किया कि स्कूल के प्रबंधक के पिता ने उसे गला घोटने की कोशिश की। उसने बताया कि उस समय वहां शोर मच गया और अन्य लोग मदद के लिए दौड़ पड़े। इस घटना के बाद ही एक और बच्चा, जो कक्षा 2 में पढ़ता था, की हत्या की खबर आई।

मृतक बच्चे की पहचान DL पब्लिक स्कूल के छात्र के रूप में हुई है। उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। बच्चे के पिता ने पुलिस को शिकायत दी कि स्कूल से फोन पर उन्हें बताया गया कि उनका बेटा बीमार है, लेकिन जब वह पहुंचे, तो पता चला कि बच्चे को अस्पताल ले जाया गया है। पिता का आरोप है कि उन्हें बाद में बच्चे का शव स्कूल के निदेशक की गाड़ी से मिला।

पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए निदेशक और अन्य चार लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। हाथरस के एसपी निपुण अग्रवाल ने बताया कि यह हत्या अंधविश्वास के चलते हुई, क्योंकि आरोपियों का मानना था कि इससे स्कूल में खुशहाली आएगी।

पुलिस ने बताया कि हत्या की घटना 22 सितंबर को स्कूल के कमरे में हुई थी। पहले आरोपियों ने 6 सितंबर को एक अन्य छात्र की हत्या की योजना बनाई थी, जो विफल रही थी। इस बार की घटना के दौरान, जब बच्चा जाग गया, तो उसकी चीख-पुकार ने आरोपियों को जल्दी में उस पर हमला करने के लिए मजबूर कर दिया।

पुलिस ने स्कूल के पीछे एक ट्यूबवेल से पूजा के सामान बरामद किए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यहां तंत्र-मंत्र की प्रथाएँ चल रही थीं। स्कूल के लिए कर्ज लिया गया था, और आरोपियों को यह विश्वास था कि बलि देने से स्कूल में प्रगति होगी। स्कूल के मालिक के पिता पर मानव बलि की योजना बनाने का आरोप भी है।