मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस आहूलवालिया ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के दावों को लेकर तीखी टिप्पणी की है। उन्होंने एक मामले की सुनवाई के दौरान सवाल उठाया कि क्या वक्फ बोर्ड ताजमहल, लाल किला और पूरे भारत की संपत्ति को भी वक्फ की संपत्ति घोषित कर देगा।
मुख्य बिंदु:
- जस्टिस आहूलवालिया ने वक्फ बोर्ड के दावों पर कड़ी टिप्पणी की
- कोर्ट ने कहा कि ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ संपत्ति नहीं माना जा सकता
- बुरहानपुर किले पर वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज किया गया
जस्टिस आहूलवालिया ने वक्फ बोर्ड के दावों पर कड़ी टिप्पणी की
जबलपुर में हुए सुनवाई के दौरान, जस्टिस आहूलवालिया ने वक्फ बोर्ड द्वारा ताजमहल और लाल किला जैसी ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ संपत्ति घोषित करने के दावे को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “क्या आप ताजमहल और लाल किला को भी अपनी संपत्ति घोषित कर देंगे? क्या इन इमारतों को वक्फ संपत्ति मानना सही होगा?”
कोर्ट ने कहा कि ऐतिहासिक इमारतों को वक्फ संपत्ति नहीं माना जा सकता
यह मामला वक्फ बोर्ड की तीन संपत्तियों पर अतिक्रमण से जुड़ा था, जिसमें वक्फ बोर्ड ने इन संपत्तियों से अतिक्रमण हटाने की मांग की थी। कोर्ट ने वक्फ बोर्ड से इन संपत्तियों के वक्फ संपत्ति होने के दस्तावेज मांगे, लेकिन बोर्ड कोई भी दस्तावेज पेश नहीं कर पाया। कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि प्राचीन स्मारकों को वक्फ संपत्ति मानना बेमानी है।
बुरहानपुर किले पर वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज किया गया
कोर्ट ने बुरहानपुर किले समेत तीन संपत्तियों को वक्फ बोर्ड की संपत्ति मानने से इनकार कर दिया और इन्हें केंद्र सरकार के अधीन करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि प्राचीन स्मारकों पर केवल केंद्र सरकार का अधिकार होगा और वक्फ बोर्ड ऐसे दावे नहीं कर सकता।
यह फैसला वक्फ बोर्ड और अन्य संबंधित संस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल कायम करेगा।