आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर से गैंगरेप और हत्या के मामले में CBI ने पहली चार्जशीट दाखिल की है। जांच एजेंसी ने इस घटना में गैंगरेप की आशंका को नकारते हुए कहा है कि वारदात को संजय रॉय ने अकेले अंजाम दिया था। करीब 100 गवाहों के बयानों और 12 पॉलीग्राफ टेस्ट के बाद CBI इस नतीजे पर पहुंची है।
पुलिस ने संजय को घटना के अगले दिन 10 अगस्त को गिरफ्तार किया था। 9 अगस्त की सुबह अस्पताल के सेमिनार हॉल में पीड़िता की अर्धनग्न शव मिला था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया था कि विक्टिम की आंखों, मुंह और प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था और गर्दन की हड्डी भी टूटी थी। हालांकि, संजय ने अब तक खुद को बेगुनाह बताया है।
संजय को पुलिस ने CCTV फुटेज के माध्यम से पहचाना था। फुटेज में वह 9 अगस्त की सुबह 4 बजे सेमिनार हॉल में दिखाई दिया, जबकि उसने कानों में इयरफोन लगाया हुआ था। करीब 40 मिनट बाद वह हॉल से बाहर निकला, लेकिन उसके पास इयरफोन नहीं था। पुलिस को क्राइम सीन पर एक ब्लूटूथ इयरफोन मिला था, जो उसके फोन से कनेक्ट था।
संजय अस्पताल में पुलिस की मदद के लिए सिविक वॉलंटियर के रूप में काम करता था और उसका अस्पताल के विभिन्न विभागों में आना-जाना था।
डॉक्टरों की भूख हड़ताल तीसरे दिन भी जारी
इस घटना के खिलाफ पश्चिम बंगाल के कोलकाता में जूनियर डॉक्टर लगातार न्याय की गुहार लगा रहे हैं। 6 जूनियर डॉक्टरों ने 5 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की है, जो धर्मतला इलाके में डोरिना क्रॉसिंग पर जारी है।
हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों में से एक डॉ. अकीब ने कहा, “सेशन कोर्ट में आरजी कर मामले में CBI की भूमिका बहुत ढीली है। हम न्याय की मांग कर रहे हैं। कोई भी यह नहीं कह सकता कि हमारी मांगें गलत हैं।”
जूनियर डॉक्टरों ने स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम को हटाने और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के लिए जवाबदेही तय करने समेत अपनी 9 मांगों पर अड़े हुए हैं। उन्होंने भूख हड़ताल की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए मंच पर CCTV लगाने का भी निर्णय लिया है, ताकि सभी देख सकें कि वहां क्या हो रहा है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने 7 अक्टूबर को जूनियर डॉक्टरों के प्रदर्शन स्थल को स्थानांतरित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने कहा था कि डॉक्टर जिस स्थान पर भूख हड़ताल कर रहे हैं, उससे ट्रैफिक बाधित हो रहा है। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले से जुड़ा मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में है।
सरकार ने 5 में से 3 मांगें मानी थीं, जिसके बाद डॉक्टर काम पर लौट गए थे। बंगाल के जूनियर डॉक्टरों ने रेप-मर्डर घटना के खिलाफ 10 अगस्त से 21 सितंबर तक 42 दिन तक हड़ताल की थी। सरकार ने 3 मांगें मान ली थीं, जबकि CM ममता ने अन्य दो मांगों और शर्तों पर विचार करने का आश्वासन दिया था।
इसके बाद डॉक्टरों ने हड़ताल समाप्त कर दी थी, लेकिन 27 सितंबर को सागोर दत्ता हॉस्पिटल में 3 डॉक्टरों और 3 नर्सों से पिटाई का मामला सामने आने के बाद नाराज होकर डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को फिर से हड़ताल शुरू कर दी थी।
4 अक्टूबर को जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल वापस ले ली, लेकिन धरना जारी रखा। उन्होंने कहा कि हम काम पर लौट रहे हैं क्योंकि सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीज परेशान हो रहे हैं। हालांकि, उन्होंने राज्य सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था।
जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हम पर अभी भी हमले हो रहे हैं। CM ममता के वादों को पूरा करने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है। हमें काम बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
रेप-मर्डर विक्टिम ट्रेनी डॉक्टर का स्टैच्यू विवाद का विषय बना
कोलकाता के आरजी कर कॉलेज में रेप-मर्डर विक्टिम ट्रेनी डॉक्टर का स्टैच्यू स्थापित किया गया है। इसे ‘अभया: क्राई ऑफ द आवर’ नाम दिया गया है, जिसमें एक महिला को दर्द में चीखते हुए दर्शाया गया है। इस स्टैच्यू को लेकर विवाद शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने इसे घटिया और विक्टिम की याद के लिए अपमानजनक बताया है।
वहीं, जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि यह स्टैच्यू विक्टिम का नहीं, बल्कि उसके दर्द और टॉर्चर का प्रतीक है। यह हमारे प्रदर्शनों को भी दर्शाता है।
इस घटना के आगे क्या होगा, यह तो समय बताएगा, लेकिन वर्तमान में कोलकाता में डॉक्टरों की भूख हड़ताल और न्याय की मांग ने राज्य की राजनीति को गरमा दिया है।