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कोलकाता बलात्कार-हत्या मामला: संदीप घोष ने करीबी सहयोगियों को दिए ठेके

Published on September 8, 2024 by Vivek Kumar

[caption id="attachment_17297" align="alignnone" width="1024"]Kolkata rape-murder case Sandip Ghosh gave contracts to close associates Kolkata rape-murder case Sandip Ghosh gave contracts to close associates[/caption] आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष, जो फिलहाल सीबीआई की न्यायिक हिरासत में हैं, पर वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताओं के नए खुलासे हुए हैं। सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, घोष ने अपने करीबी सहयोगियों, जिनमें एक गार्ड और दो दवा विक्रेता शामिल हैं, के साथ "आपराधिक गठजोड़" चलाया। 7 सितंबर को सीबीआई अधिकारियों ने खुलासा किया कि घोष के अलावा तीन अन्य लोगों को भी वित्तीय कदाचार के मामले में गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए दो आरोपी बिप्लब सिंहा और सुमन हाजरा, घोष के करीबी थे और उन्हें आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल से ठेके मिले थे। सुमन हाजरा, जो एक दवा विक्रेता है, को सोफा और रेफ्रिजरेटर की आपूर्ति के ठेके दिए गए, जबकि नियमानुसार उन्हें केवल दवाइयां सप्लाई करनी चाहिए थीं। इसके अलावा, घोष ने अस्पताल में कैफे चलाने का ठेका अपने निजी सुरक्षा गार्ड की पत्नी से जुड़े एक संगठन को दिया था। घोष और तीन अन्य को 2 सितंबर को आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज में वित्तीय कदाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई जांच में सामने आई तीन प्रमुख बातें:
  1. बिप्लब सिंहा और सुमन हाजरा पहले मुर्शिदाबाद मेडिकल कॉलेज से जुड़े थे, जहां 2016 से 2018 तक घोष भी कार्यरत थे। जब घोष आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल बने, तो सिंहा और हाजरा को कई ठेके दिए गए। घोष से जुड़ने के बाद हाजरा का व्यवसाय 2021-22 के बीच तीन गुना हो गया था।
  2. बिप्लब सिंहा ने कई फर्में चलाईं, जिनमें मां तारा ट्रेडर्स, बाबा लोकनाथ और तियाशा एंटरप्राइजेज शामिल थीं। इन फर्मों को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के नाम से संचालित किया गया था ताकि यह दिखाया जा सके कि ठेकों में प्रतिस्पर्धा हो रही है। लेकिन अंत में, ठेका हमेशा उनकी किसी न किसी फर्म को ही मिलता था।
  3. सीबीआई ने पाया कि बिप्लब की फर्मों को ठेके देने की प्रक्रिया में भी अनियमितताएं थीं। कॉलेज के कई अधिकारियों को काम आदेश लिखे गए थे लेकिन वे कभी वितरित नहीं किए गए, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि अन्य अधिकारियों को जानबूझकर प्रक्रिया से बाहर रखा गया था।
मेडिकल काउंसिल का घोष को नोटिस: शनिवार को पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल ने संदीप घोष को वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में स्पष्टीकरण मांगते हुए एक शो-कॉज नोटिस जारी किया। उन्हें तीन दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है। काउंसिल ने संकेत दिया है कि अगर गंभीर वित्तीय कदाचार साबित हुआ, तो उनकी मेडिकल पंजीकरण रद्द की जा सकती है, लेकिन उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है। सीबीआई को मिला पुनर्निर्माण आदेश: 5 सितंबर को सीबीआई ने खुलासा किया कि संदीप घोष ने रेप और हत्या के अगले ही दिन आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज में कमरों और शौचालयों के पुनर्निर्माण का आदेश दिया था। प्रशिक्षु डॉक्टर का शव 9 अगस्त की सुबह सेमिनार हॉल के पास पाया गया था। दस्तावेज़ों से पता चला कि 10 अगस्त को घोष ने सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) को पुनर्निर्माण का आदेश दिया था। उनके हस्ताक्षर उस अनुमति पत्र पर पाए गए। जांचकर्ताओं का कहना है कि घोष द्वारा पुनर्निर्माण के आदेश में दिखाई गई तत्परता इस मामले में वित्तीय अनियमितताओं को बलात्कार-हत्या मामले से जोड़ सकती है।

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पीड़िता के पिता का बयान: पीड़िता के पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया कि जब उन्हें उनकी बेटी का शव सौंपा गया, तब पुलिस ने उन्हें पैसे की पेशकश की थी। उन्होंने दावा किया कि पुलिस शुरू से ही मामले को दबाने की कोशिश कर रही थी। प्रदर्शन और ब्लैकआउट: देश के कई हिस्सों में नागरिकों ने लाइट बंद करके विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें कोलकाता के राजभवन में भी ब्लैकआउट हुआ। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के प्रमुख आर. वी. असोकन ने विरोध कर रहे डॉक्टरों से अपील की कि वे काम पर लौटें और न्याय की मांग का मामला सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दें।

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