
अप्रैल 2025 में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ शुरू हुए विरोध-प्रदर्शन ने हिंसक रूप धारण कर लिया। इस दौरान कम से कम तीन लोगों की मौत हो गई, दर्जनों घायल हुए और सैकड़ों परिवारों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा। विरोध की आग ने पूरे जिले को हिला कर रख दिया और राज्य तथा केंद्र सरकारों को कड़ी कार्रवाई करने पर मजबूर कर दिया।
क्या है वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को मंजूरी दी थी, और यह 8 अप्रैल से लागू हुआ। अधिनियम में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन से जुड़े कई बड़े बदलाव किए गए। आलोचकों का मानना है कि यह अधिनियम धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
विशेष रूप से मुस्लिम समुदायों ने इस कानून का तीव्र विरोध किया, जिसके चलते पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया।
मुर्शिदाबाद जिले में विरोध प्रदर्शन जंगीपुर, उमरपुर और शमशेरगंज जैसे इलाकों में केंद्रित रहे। शुरुआत में शांतिपूर्ण रहे ये प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गए:
- 8 अप्रैल: उमरपुर में राष्ट्रीय राजमार्ग-12 को अवरुद्ध किया गया और पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।
- 11 अप्रैल: प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय सांसद खलीलुर रहमान के कार्यालय पर हमला किया और निमतिता रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों को रोका और पथराव किया।
- 12 अप्रैल: एक हिंसक भीड़ ने हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास के घर पर हमला किया, जिसमें दोनों की मौत हो गई। इसी दिन 17 वर्षीय इजाज़ अहमद शेख भी गोलीबारी में मारा गया।
हिंसा के बाद भयभीत होकर धूलियन, सुत्ती और शमशेरगंज जैसे इलाकों से करीब 400 से अधिक हिंदू परिवारों ने भागकर मालदा जिले में शरण ली। उन्होंने भागीरथी नदी पार कर स्कूलों और अस्थायी राहत शिविरों में शरण ली, जहां स्थानीय प्रशासन ने राहत सामग्री और सुरक्षा मुहैया कराई।
प्रशासनिक और न्यायिक प्रतिक्रिया
- धारा 144 लागू कर दी गई, जिससे सार्वजनिक सभाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
- इंटरनेट सेवाएं निलंबित की गईं, ताकि अफवाहों पर रोक लगाई जा सके।
- 274 से अधिक गिरफ्तारियां की गईं और 60 से अधिक एफआईआर दर्ज की गईं।
- कोलकाता हाईकोर्ट ने केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती का आदेश दिया और राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी।
ममता बनर्जी (मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल): “राज्य सरकार वक्फ अधिनियम को लागू नहीं करेगी। हिंसा किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। कुछ राजनीतिक ताकतें दंगे भड़काकर लाभ उठाना चाहती हैं।”
सुवेंदु अधिकारी (विपक्ष के नेता, भाजपा): “यह पूर्व-नियोजित जिहादी हमला है, न कि सामान्य प्रदर्शन। राज्य सरकार की विफलता और तुष्टिकरण नीति के चलते कानून व्यवस्था ध्वस्त हो गई है।”
सुकांत मजूमदार (प्रदेश भाजपा अध्यक्ष): “मुख्यमंत्री की चुप्पी ने पुलिस को निष्क्रिय कर दिया है। हिंदुओं को डराया जा रहा है। केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की गई है।”
मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा ने राज्य के सांप्रदायिक सौहार्द्र पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना सिर्फ कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि समाज के भीतर गहराते वैमनस्य और राजनीतिक ध्रुवीकरण का संकेत भी देती है। इस मामले में निष्पक्ष जांच, त्वरित न्याय और सभी समुदायों के बीच संवाद की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकें।