वक्फ बोर्ड विधेयक पर विपक्ष की तीखी प्रतिक्रिया: संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला

लोकसभा में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक को पेश करने के दौरान विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। जैसे ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विधेयक पेश करने की अनुमति दी, विपक्षी सांसदों ने शोर-शराबा शुरू कर दिया और विधेयक के खिलाफ विरोध जताया। शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि जिन सदस्यों ने बोलने की अनुमति मांगी है, उन्हें बोलने का मौका दिया जाएगा, और इसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई।

विपक्ष की प्रमुख टिप्पणियाँ:

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से केंद्र सरकार राज्यों के वक्फ बोर्ड को कमजोर कर रही है। उनका तर्क है कि विधेयक के बाद राज्यों के पास कोई अधिकार नहीं रह जाएगा और यह विधेयक विशेष समुदाय को केंद्रित करने की कोशिश करता है।

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियों को कम करने की टिप्पणी की, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपत्ति जताई। यादव ने कहा कि भाजपा अपने ‘हताश निराश कट्टर समर्थकों’ के लिए यह विधेयक ला रही है। इस पर ओम बिरला ने कहा कि कोई भी सदस्य व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं करे।

समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह नदवी ने कहा कि यह विधेयक मुसलमानों के साथ अन्याय कर रहा है और संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर यह कानून पारित हुआ, तो अल्पसंख्यक असुरक्षित महसूस करेंगे और जनता सड़क पर आ सकती है।

तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने इस विधेयक को अनुच्छेद 14 का उल्लंघन और असंवैधानिक बताया। उनका कहना है कि यह विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है और सहकारी संघवाद की भावना के खिलाफ है।

विपक्ष की इस तीखी प्रतिक्रिया को देखते हुए, विधेयक पर आगे की बहस और निर्णय प्रक्रिया में अधिक गतिशीलता की संभावना है।

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