भारत सरकार अब तक 40,000 से अधिक अवैध तरीके से देश में बसे गए रोहिंग्या मुसलमानों को उनके मूल देश म्यांमार वापस भेजने का प्रयास कर रही है। इसके विपरीत, हर महीने बांग्लादेश की सीमा से भारत आने वाले 200 से अधिक रोहिंग्या को फर्जी पहचान देकर भारत में बसाया जा रहा है।
नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने हाल ही में इस मानव तस्करी गिरोह के मास्टरमाइंड जलील मियां को गिरफ्तार किया है। जलील से NIA ने उसके गिरोह के अन्य संदिग्धों के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए पूछताछ की है। इस तस्करी के कार्यों के बारे में उसने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
इन घटनाओं के संदर्भ में यह जरूरी है कि सरकारें इस गंभीर मुद्दे पर सही कदम उठाएं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग बढ़ाएं ताकि इस तरह की मानव तस्करी को रोका जा सके।
त्रिपुरा से चला रहा गिरोह का आरोपी, जलील मियां, बहुत बड़ी धंधे में शामिल था। उसका निवास त्रिपुरा में था और NIA ने उस पर एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। जलील मियां, जिसे NIA ने उसके गिरोह के मुखिया जिबोन रूद्र पाल या सुमन का साथी माना जाता है, पहले ही NIA द्वारा गिरफ्तार किया गया था।
जलील मियां के सहयोगी जज मियां और शंतो अभी भी फरार हैं और NIA उन्हें ढूँढ रही है। ये सभी लोग त्रिपुरा से ही इस मानव तस्करी गिरोह को ऑपरेट करते थे। जलील को पहले भी NIA ने 8 नवंबर 2023 को गिरफ्तार करने का प्रयास किया था, लेकिन वह फरार हो गया था।
इसके बाद NIA ने उसके गिरोह के 29 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। जांच से पता चला है कि बांग्लादेश में मौजूद इस गिरोह के सदस्य रोहिंग्या मुसलमानों को 10 से 20 लाख रुपये (14 से 28 लाख बांग्लादेशी टका) में सीमा पार करने और भारत में बसाने का पैकेज प्रदान करते थे।
NIA के सूत्रों के अनुसार, मानव तस्करी गिरोह की जांच के दौरान पता चला है कि रोहिंग्या अस्तित्व में भारत आने से पहले या बाद में उन्हें भारतीय एक्सेंट में हिंदी, असमी और अन्य भारतीय भाषाओं की ट्रेनिंग भी दी जाती है। इससे उनके बोलने के लहजे से उनकी पहचान न हो पाए। इसके अलावा, घुसपैठिए द्वारा जो भाषा सीखी जाती है, वह तय करती है कि उन्हें भारत के किस राज्य में बसाया जाए।
हाल ही में, भारत में प्रतिदिन 5 से 10 रोहिंग्या इसी तरह भूमिगत सुरंगों के माध्यम से घुसपैठ करके आ रहे थे। इस गिरोह ने बांग्लादेश से यात्रा करते समय असम, मिजोरम, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों के सीमा के पास बनाई गई भूमिगत सुरंगों का इस्तेमाल किया था।
घुसपैठ के बाद, इन अवैध अभियान्ताओं का हुलिया बदल दिया जाता है ताकि उन्हें पहचानना मुश्किल हो। उन्हें कुछ दिनों के लिए अनजान जगहों में रखा जाता है, जहां उनके खिलाफ किसी शक्की कार्रवाई की संभावना से बचा जा सकता है। इस दौरान, उनकी तस्वीरें ली जाती हैं और उनके फर्जी दस्तावेज तैयार किए जाते हैं।
यूनाइटेड नेशंस हाई कमिशनर फॉर रिफ्यूजीज (UNHCR) के अनुसार, दिल्ली में लगभग 1000 रोहिंग्या शरणार्थी पंजीकृत हैं, लेकिन इनकी वास्तविक संख्या इससे अधिक हो सकती है। भारत में रोहिंग्या शरणार्थी की बसावट के मामले में दिल्ली एक प्रमुख स्थान है, जहां उनकी समुदायिक बस्तियां विभिन्न इलाकों में स्थित हैं। दिल्ली में कम से कम पांच ऐसे अनौपचारिक शिविर हैं जहां रोहिंग्या समुदाय बसा हुआ है। इन इलाकों में जसोला, यमुना नदी के किनारे, श्रम विहार, कंचन विहार और मदनपुर खादर (साउथ दिल्ली) शामिल हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में रोहिंग्या समुदाय के सदस्य अपने धर्म बदलने की प्रक्रिया में शामिल हो गए हैं।