S Jaishankar का पाकिस्तान पर अप्रत्यक्ष प्रहार: ‘तीन बुराइयों’ का जिक्र SCO शिखर सम्मेलन में

भारत के विदेश मंत्री S Jaishankar ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान पर तीखा लेकिन अप्रत्यक्ष प्रहार किया। उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद जैसी गतिविधियां क्षेत्रीय विकास, व्यापार और संपर्क को गंभीर रूप से प्रभावित करती हैं।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में हुए इस सम्मेलन में Jaishankar ने साफ़ किया कि अगर सीमा पार से आतंकवाद और अलगाववाद जारी रहता है, तो व्यापार, ऊर्जा का आदान-प्रदान और लोगों के बीच संपर्क की उम्मीद नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा, “हमारे प्रयास तभी सफल होंगे जब हम SCO चार्टर का पालन पूरी ईमानदारी से करें और आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद का सख्ती से विरोध करें।”

Jaishankar की यह टिप्पणी उस समय आई जब पाकिस्तान ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) को विस्तारित करने और इसे SCO के संपर्क ढांचे में शामिल करने का प्रस्ताव रखा। भारत ने इस परियोजना का हमेशा विरोध किया है, क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है, जो भारत के लिए एक संवेदनशील मुद्दा है।

Jaishankar ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि सहयोग तभी सार्थक होगा जब सभी देश एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि SCO का भविष्य तभी उज्ज्वल होगा, जब सदस्य देशों के बीच पारदर्शिता और आपसी विश्वास की मजबूत नींव होगी।

उनकी यात्रा खास इसलिए भी रही क्योंकि Jaishankar लगभग एक दशक के बाद पाकिस्तान का दौरा करने वाले पहले भारतीय विदेश मंत्री बने। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में SCO-CHG शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पहुंचे जयशंकर का प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने गर्मजोशी से स्वागत किया।

Jaishankar ने अपने संबोधन में SCO चार्टर के मूल सिद्धांतों पर चलने की जरूरत पर जोर दिया, जिसमें आपसी सम्मान, मित्रता और सहयोग की बात कही गई है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी क्षेत्रीय पहल को एकतरफा एजेंडों के बजाय साझेदारी के आधार पर आगे बढ़ाना चाहिए, जो स्पष्ट रूप से चीन की आक्रामक नीतियों की ओर इशारा था।

Jaishankar की पाकिस्तान यात्रा और उनके द्वारा दिए गए बयान ने एक बार फिर भारत के उस दृढ़ रुख को स्पष्ट किया है, जिसमें क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद का सख्त विरोध जरूरी है। उनका संदेश यह था कि व्यापार और संपर्क की सफलता के लिए सीमा पार से शांति और सहयोग की आवश्यकता है, न कि हिंसा और अस्थिरता की।

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